बीजिंग।
तो क्या तीसरे विश्व युद्ध की खाका खींचने की तैयारी शुरू हो गई है। चीन की धमकी से तो यही प्रतीत हो रहा है। चीन ने ताइवान से चल रही तनातनी के बीच मंगलवार को तीसरे विश्व युद्ध की धमकी दी। चीन ने कहा है कि तीसरा विश्व युद्ध किसी भी समय छिड़ सकता है। बता दें कि पिछले चार दिनों में चीन की तरफ से ताइवान के हवाई क्षेत्र में 149 लड़ाकू विमान और बॉम्बर प्लेन भेजे गए। इन घटनाओं के बाद जहां अमेरिका समेत पूरी दुनिया चीन के इन हथकंडों की आलोचना कर रही है, वहीं चीन भी सभी देशों को उसके आंतरिक मसले पर न बोलने की चेतावनी दे रहा है। इस बीच उसकी हालिया लड़ाई फ्रांस से भड़क उठी है।
चीन की बढ़ती सैन्य क्षमता को देखते हुए ताइवान ने चिंता जाहिर की है। चीन के रक्षा मंत्री चीऊ कुओ-चेंग ने कहा कि चीन 2025 तक पूरी क्षमता के साथ उस पर हमला कर सकता है। बुधवार को संसद में सांसदों के कठिन सवालों का जवाब देते हुए रक्षामंत्री ने कहा कि पिछले 40 सालों में यह सबसे बुरी स्थिति है। जब से वह सेना में भर्ती हुए हैं, ऐसी ही स्थिति बनी हुई है। उन्होंने कहा कि चीन के पास पहले से इतने हथियार हैं, जिससे वह ताइवान को हथियारों के दम पर कब्जे में ले सकता है। वहीं चीन का कहना है कि अमेरिका और ताइवान की मिलीभगत के कारण हालात काफी बिगड़ चुके हैं और बातचीत के रास्ते खत्म हो चुके हैं। यह रिपोर्ट ऐसे समय पर सामने आई है जब चीन ताइवान पर काफी आक्रामक रुख अपनाए हुए है। मंगलवार को चीन ने ताइवान के वायु क्षेत्र में दर्जनों लड़ाकू विमान भेजे थे। बीते एक अक्तूबर से अबतक चीन करीब 150 लड़ाकू विमानों को ताइवान के वायु क्षेत्र में भेज चुका है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन के लोग अमेरिका और ताइवान पर चौतरफा हमला करने के लिए तैयार हैं। उधर ,चीन की ओर से ताइवान की सीमा में लड़ाकू विमान भेजे जाने के बाद वहां की राष्ट्रपति ने शी जिनपिंग से आग्रह किया था वे इस तरह की कार्रवाई पर रोक लगाएं। इसके बाद भी चीन की कार्रवाई न रुकने पर ताइवान ने भी साफ कर दिया है कि अपनी आजादी और लोकतंत्र की रक्षा के लिए वे पीछे नहीं हटेंगे। उधर, चीन ताइवान को अपना हिस्सा बताता है। उसने यहां तक कह दिया है कि अगर हथियारों के दम पर ताइवान पर कब्जा करना पड़ा, वह उसके लिए भी तैयार है। उधर पिछले चार दिनों में चीन की तरफ से ताइवान के हवाई क्षेत्र में 149 लड़ाकू विमान और बॉम्बर प्लेन भेजे गए। इन घटनाओं के बाद जहां अमेरिका समेत पूरी दुनिया चीन के इन हथकंडों की आलोचना कर रही है, वहीं चीन भी सभी देशों को उसके आंतरिक मसले पर न बोलने की चेतावनी दे रहा है। इस बीच उसकी हालिया लड़ाई फ्रांस से भड़क उठी है।
इस लड़ाई की शुरुआत तब हुई, जब फ्रांस के एक सांसद के नेतृत्व में डेलिगेशन को ताइवान पहुंचना था और यहां राष्ट्रपति साई इंग-वेन से मिलना था। चीन ने फ्रांस के इस कदम पर उसे भी धमकी देना शुरू कर दिया। फ्रांस में स्थित चीनी दूतावास ने सांसद के दौरे से पहले कहा कि इससे न सिर्फ चीन के मूल हित प्रभावित होंगे, बल्कि चीन और फ्रांस के रिश्तों पर भी गलत असर पड़ेगा। चीन ने यहां तक कह दिया कि इससे फ्रांस की प्रतिष्ठा और हितों को गहरा नुकसान होगा।