टोक्यो।
महिला टीम ने पहली बार ओलंपिक के सेमीफाइनल में पहुंचकर चक दे इंडिया के रास्ते में चल पड़ी है। ड्रैगफ्लिकर गुरजीत कौर के गोल और गोलकीपर सविता की अगुआई में भारतीय महिला हॉकी टीम ने सोमवार को इतिहास रच दिया। क्वार्टर फाइनल में विश्व में नंबर दो ऑस्ट्रेलिया को 1-0 से हराकर पहली बार सेमीफाइनल में जगह बनाई। बुधवार को अर्जेंटीना से भारतीय टीम का सामना होगा।
भारतीय जीत की स्टार गुरजीत और गोलकीपर सविता रहीं। गुरजीत ने 22वें मिनट में पेनल्टी कार्नर पर महत्वपूर्ण गोल किया। इसके बाद टीम ने पूरी ताकत गोल बचाने में लगा दी जिसमें वह सफल भी रही। गोलकीपर सविता ने बेहतरीन खेल दिखाया और बाकी रक्षकों ने उनका अच्छा साथ दिया। आखिरी दो क्वार्टर में ऑस्ट्रेलिया ने लगातार हमले किए लेकिन भारतीयों ने उन्हें अच्छी तरह से नाकाम किया। भारत ने पहले क्वार्टर में गेंद पर अच्छा नियंत्रण बनाया और दूसरे क्वार्टर में भी अपने खेल में निंरतरता बनाये रखी। ऑस्ट्रेलिया को 19वें मिनट में मैच का पहला पेनल्टी कॉर्नर मिला लेकिन भारतीयों ने बेहतरीन रक्षण से यह खतरा टाल दिया। इसके बाद मोनिका के ऑस्ट्रेलियाई सर्कल में बेहतरीन प्रयास से भारत ने पेनल्टी कॉर्नर हासिल किया और गुरजीत ने उसे गोल में बदलकर 22वें मिनट में टीम को बढ़त दिला दी। भारत के पास 26वें मिनट में बढ़त दोगुनी करने का मौका था जब सलीमा टेटे बीच मैदान से गेंद लेकर आगे बढ़ी लेकिन उनका शॉट निशाने पर नहीं लगा। इस तरह से रानी की टीम मध्यांतर तक 1-0 से आगे थी। वहीं ऑस्ट्रेलिया गोल करने के लिए बेताब था। उसने तीसरे क्वार्टर के शुरू में स्टीवर्ट ग्रेस के प्रयासों से मौका भी बनाया लेकिन भारतीय गोलकीपर सविता ने मारिया विलियम्स के शॉट को रोककर यह हमला नाकाम कर दिया। सविता का जीत में बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहा। उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई हमलों को लगातार ध्वस्त किया। हाल यह रहा कि उन्होंने पेनाल्टी कॉर्नर पर कोई गोल नहीं होने दिया। इस क्वार्टर में भारत के पास गोल करने का सबसे अच्छा मौका 44वें मिनट में था जब शर्मिला देवी ने दाएं छोर से गेंद रानी को थमाई लेकिन वह फिर से निशाने पर शॉट जमाने से चूक गई। भारतीय रक्षकों ने चौथे क्वार्टर में भी बेहतरीन खेल दिखाया। ऑस्ट्रेलिया के पास 50वें मिनट में गोल करने का मौका था लेकिन इस बार निक्की प्रधान उसकी राह में रोड़ा बनी। ऑस्ट्रेलिया को इसके बाद लगातार दो पेनल्टी कार्नर मिले लेकिन सविता रूपी दीवार को भेद पाना उसके लिए मुश्किल था। अंतिम सीटी बजने के साथ ही भारतीय खिलाड़ी झूमने लगीं और एक दूसरे के गले लग गई। भारतीय कोच सोर्ड मारिन भी खुशी में उछल पड़े और उनके आंसू निकल आए।