वाशिंगटन। मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए डॉक्टर नींद को महत्व देते हैं। उनके मुताबिक, आरामदायक नींद लेने से शरीर की क्षमता विकसित होती है। हालांकि, एक नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने दावा किया कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं की नींद अधिक टूटती है। इस वजह से वह कम आरामदायक नींद ले पाती है। अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो बोल्डर के शोधकर्ताओं ने यह अध्ययन किया है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, पुरुषों की तुलना में कम सोने और अधिक बार उठने से वह अपर्याप्त नींद ले पाती हैं। इससे मधुमेह, मोटापा, अल्जाइमर और इम्यून सिस्टम का कमजोर होना जैसी जोखिम में बढ़ोतरी हो जाती है। अध्ययन के निष्कर्ष जर्नल साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित हैं। इसमें बताया गया कि पुरुषों और महिलाओं में नींद के अंतर के पीछे क्या कारण हो सकते हैं। इंटीग्रेटिव फिजियोलॉजी के सहायक प्रोफेसर और लेखक राचेल रोवे ने कहा, मनुष्यों में पुरुष और महिलाएं अलग-अलग नींद के पैटर्न को प्रदर्शित करते हैं। यह अक्सर जीवनशैली कारकों और देखभाल करने वाली भूमिकाओं के कारण होता है। इसके अलावा महिलाएं पर्यावरण के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं। साथ ही बच्चों की देखभाल करने के जिम्मेदारी भी उन्हीं पर होती है। ऐसे में अगर पुरुषों की तरह महिलाएं भी नींद लेती हैं तो बच्चों के विकास पर असर पड़ सकता है। वहीं तनाव और हार्मोन में बदलाव से भी नींद के बार-बार टूटने की घटनाएं होती है। रोवे ने कहा कि आमतौर र महिलाएं अपने पीरियड्स के दौरान खराब नींद की रिपोर्ट करती हैं। वैज्ञानिकों ने नींद के पैटर्न का पता लगाने के लिए चूहों पर अध्ययन किया। इस दौरान तीन सौ चूहों पर अल्ट्रासेंसिटिव मूवमेंट सेंसर से युक्त विशेष पिंजरों का उपयोग किया। इसमें पाया गया कि नर चूहे 24 घंटे की अवधि में कुल मिलाकर 670 मिनट सोते हैं। यानी करीब 11 घंटे नींद लेते हैं। वहीं मादा चूहों में नींद का पैटर्न एक घंटा कम देखा गया। यानी वह आमतौर पर 10 घंटे नींद लेते पाए गए। इस दौरान सेंसर से यह भी पता चला कि वह मादा चूहों की नींद बीच-बीच में टूटती रही, जबकि नर चूहे गहरी नींद में मिले। वैज्ञानिकों ने फल मक्खियों, जेब्राफिश और पक्षियों सहित अन्य जानवरों में भी इसी तरह का अंतर देखा। वैज्ञानिकों ने अध्ययन के लिए महिलाओं के नींद के पैटर्न पर भी ध्यान दिया। इस दौरान करीब पांच सौ अधिक वयस्कों पर ऑनलाइन सर्वे किया गया। इसमें उनसे सोने की टाइमिंग, कितने घंटे नींद लेने और रात में कब-कब नींद खुलने जैसे सवाल पूछ गए। साथ ही यह भी जाना गया कि क्या वह दिन में कार्य करने के दौरान झपकी लेते हैं। इसमें से 65 फीसदी महिलाओं ने बताया कि उनकी नींद रात में कई बार खुलती है। इसके कारणों के पीछे उन्हें बच्चे, शारीरिक थकान, और तनाव के कारण अच्छी नींद नहीं आना शामिल था। वहीं 22 फीसदी महिलाओं ने माना कि पर्यावरण, पारिवारिक जिम्मेदारी भी सोने की स्थिति पर प्रभाव डालती है। इससे पहले किए गए अध्ययनों में कहा गया कि महिलाओं को पुरुषों की तुलना में 11 मिनट अधिक सोने चाहिए। हालांकि, यहां किए गए अध्ययनों से पता चलता है कि महिलाओं की नींद लेने की क्षमता पुरुषों की तुलना में करीब दो घंटे कम है। अगर पुरुष 9 घंटे की पर्याप्त नींद लेते हैं तो महिलाओं सिर्फ सात घंटे की सो पाती हैं, वह भी बार-बार जागकर।