लखनऊ। राजेन्द्र तिवारी
तीन मासूम बच्चों को लेकर पत्नी बलिया में बिलखती रह गई लेकिन लॉकडाउन में कोई भी साधन नहीं मिला जिससे वह अपने पति के अंतिम दर्शन को जा सके। उसके पति की मौत तेलंगाना के सिकंदराबाद में हो गई थी। आखिरकार पति के साथ सिकंदराबाद में काम करने वाले महिला के भाई यानी साले ने अपने जीजा का सिकंदराबाद में अंतिम संस्कार किया। इधर बलिया में उसके मासूम 9 साल के बच्चे ने आपने चाचा के कंधे पर बैठ अपने पिता के प्रतीकात्मक शव का अंतिम संस्कार किया।
यह मार्मिक घटना बलिया के बैरिया तहसील की है। बैरिया के नौरंगा के सतेन्द्र की पत्नी और तीन मासूम बच्चे गांव में रहते हैं। पांच साल पहले सतेन्द्र के माता पिता का भी देहांत हो गया है। सतेन्द्र और उसका साला तेलंगाना के सिकंदराबाद में नौकरी करते हैं। 18 अप्रैल को कम्पनी में काम करते समय सतेंद्र की तबीयत खराब हुई और उसकी मौत हो गई। सूचना मिलने पर उसकी पत्नी बिलख पड़ी। लाख कोशिश के बाद भी सिकंदराबाद जाने की कोई व्यवस्था नहीं हो सकी। उधर सतेंद्र के साले ने भी शव लाने की बहुत कोशिश की, लेकिन कामयाब नहीं हो सका। आखिरकार सिकंदराबाद में ही साले ने अपने जीजा को मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार किया। इधर बलिया में सतेंद्र के 9 साल के बेटे ने अपने पिता की प्रतीकात्मक शव को मुखाग्नि दी। आगे का श्रद्धकर्म सतेंद्र का चचेरा भाई पूरा करेगा। पति की मौत के बाद पत्नी अनु पर दु:खों का पहाड़ टूट पड़ा है। सास-ससुर की मौत परिवार का एक मात्र सहारा पति की भी मौत होने से पूरी तरह वह टूट गई। तीन मसूम बच्चों की परवरिश की सारी जिम्मेदारी भी कंधों पर आ गयी है। बिलखती अनु अब विधाता को कोस रही है। अनु ने कहा कि ईश्वर किस जन्म का बदला ले रहा है। मां को बिलखते देख बच्चे मां के आंसू पोंछने की कोशिश कर रहे थे।