नई दिल्ली । दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं अमेरिका और चीन के बीच सेमीकंडक्टर को लेकर जंग छिड़ चुकी है। सूत्रों के अनुसार, हाल ही में अमेरिकी वाणिज्य विभाग की ओर से दुनिया की सबसे बड़ी चिप निर्माता कंपनी ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी (टीएसएमसी) को चीन के सबसे बड़े तकनीकी समूह, हुआवेई सहित कई कंपनियों को उन्नत एआई चिप भेजने से रोक दिया गया। माना जा रहा है कि इस कदम से अमेरिका और चीन के बीच व्यापार के क्षेत्र मे तनाव बढ़ेगा। मीडिया सूत्रों के अनुसार, अमेरिकी वाणिज्य विभाग ने टीएसएमसी को प्रतिबंधित चीनी कंपनियों को सात नैनोमीटर या उससे छोटे आकार के चिप बेचने से रोकने के लिए कहा। वाणिज्य विभाग के पत्र के बाद टीएसएमसी ने अपने प्रभावित ग्राहकों को चिप शिपमेंट के निलंबन के बारे में सूचित किया है। ज्ञात हो कि 2019 में अमेरिका ने हुआवेई पर चीन के लिए जासूसी करने का आरोप लगाया था। एक रिपोर्ट में बताया गया था की चीन की सरकार के साथ हुआवेई के अच्छे संबंध हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका चीन द्वारा उसकी तकनीकों की नकल करने को लेकर चिंतित है। यह कदम संभवतः आने वाले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रवादी झुकाव के अनुरूप है। इस समय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के साथ ही एआई चिप भी चर्चा में हैं। एआई चिप आमतौर पर सेमीकंडक्टर ही होती हैं, लेकिन खासतौर से एआई के लिए डिजाइन की जाती हैं। कंप्यूटर से लेकर कार तक में इनका इस्तेमाल होता है और इन्हें प्रोडक्ट की जरूरत के मुताबिक डिजाइन किया जाता है। उदाहरण के तौर पर चैटजीपीटी जैसे एआई सिस्टम को तेज और सस्ता बनाने के लिए खास एआई चिप डिजाइन की गई हैं। चीन इन चिप्स को बनाने की तकनीक चाहता है। इसी वजह से अमेरिका जो इस तकनीक का अधिकतर स्रोत अपने पास रखे हुए है, वो बीजिंग को पीछे धकेल रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, दोनों देशों के बीच एशिया प्रशांत क्षेत्र में अपने व्यापार को चरम पर ले जाने की होड़ लगी है। आज हथियार हो या इलेक्ट्रानिक उत्पाद, उनको आधुनिक बनाने के लिए एआई का उपयोग अनिवार्य बन चुका है। इसके लिए एआई चिप तकनीक पर नियंत्रण इसके लिए बेहद जरूरी है। चिप इंडस्ट्री में अमेरिका और चीन के अलावा भारत और जापान भी अपने कदम जमाने के लिए प्रयासरत हैं। हाल ही में जापान के प्रधानमंत्री शीगेरु इशिबा ने देश की चिप और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए 65 अरब डॉलर के प्लान की घोषणा की। इस प्लान के तहत जापान की सरकार इन इंडस्ट्रीज को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी और इन्सेंटिव मुहैाया कराएगी। इस योजना के तहत 2030 तक 10 ट्रिलियन येन (65 अरब डॉलर) खर्च किए जाएंगे। उधर, एआई चिप इंडस्ट्री की विश्व की बड़ी कंपनियां भारत के साथ मिलकर काम करना चाहती हैं। सूत्रों के अनुसार, चिप बनाने वाली अमेरिकी कंपनी एनवीआईडीआईए ने भारत के साथ मिलकर एआई चिप बनाने की पेशकश की है। भारत के चिप डिजाइन टैलेंट से आकर्षित होकर अमेरिकी कंपनी ने यह प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा है। इसी तरह और भी कई कंपनियां हैं जिन्हें भारत में भविष्य नजर आता है।