नई दिल्ली। भारत ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के सलाहकार कट्टरपंथी महफूज आलम द्वारा भारत के बारे में सोशल मीडिया में की गई टिप्पणी पर कड़ा विरोध दर्ज कराया है। विदेश मंत्रालय ने आगाह किया कि वे अपनी सार्वजनिक टिप्पणियों को लेकर सतर्क रहें। बता दें कि आलम ने हाल में बांग्लादेश मुक्ति दिवस के मौके पर फेसबुक पोस्ट में पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और असम को बांग्लादेश का हिस्सा बताते हुए एक विवादित नक्शा जारी किया था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जैसवाल ने शुक्रवार को साप्ताहिक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान एक सवाल के जवाब में कहा कि हम सभी संबंधित लोगों को उनकी सार्वजनिक टिप्पणियों को लेकर सतर्क रहने की याद दिलाना चाहेंगे। हमने इस मुद्दे पर बांग्लादेश के समक्ष अपना कड़ा विरोध दर्ज कराया है। हम समझते हैं कि जिस पोस्ट का उल्लेख किया जा रहा है, उसे कथित तौर पर हटा दिया गया है। भारत ने बार-बार बांग्लादेश के लोगों और अंतरिम सरकार के साथ संबंधों को बढ़ावा देने में रुचि दिखाई है, ऐसी टिप्पणियां सार्वजनिक अभिव्यक्ति में जिम्मेदारी की आवश्यकता को रेखांकित करती हैं। भारत-चीन के बीच विशेष प्रतिनिधि स्तर की बातचीत पर भी जवाब दिया। जैसवाल ने कहा कि दोनों पक्षों ने 2005 में सहमत राजनीतिक मापदंडों और मार्गदर्शक सिद्धांतों के अनुसार सीमा मुद्दे के समाधान के लिए एक निष्पक्ष, उचित और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य रूपरेखा तलाशने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की है। सीमा समाधान के लिए रूपरेखा पर चर्चा करने के अलावा विशेष प्रतिनिधियों ने इस दौर में शांतिपूर्ण सीमा प्रबंधन के मुद्दों की व्यापक समीक्षा की है। म्यांमार की स्थिति पर जैसवाल ने कहा कि हाल में विदेश सचिव ने म्यांमार के पड़ोसियों के साथ देश की स्थिति पर अनौपचारिक परामर्श के लिए बैंकॉक का दौरा किया। म्यांमार पर हमारा रुख सुसंगत रहा है। हम हिंसा की समाप्ति और वास्तविक संघीय लोकतंत्र की स्थापना के माध्यम से जातीय मुद्दों के शांतिपूर्ण समाधान का आह्वान करते हैं। यह प्रक्रिया म्यांमार के नेतृत्व वाली और म्यांमार के स्वामित्व वाली होनी चाहिए। म्यांमार में समावेशी शांति और स्थिरता की वापसी सुनिश्चित करने के लिए सभी हितधारकों के विचारों को ध्यान में रखना चाहिए।