हल्द्वानी। हल्द्वानी हिंसा के आरोपी अब्दुल मलिक पर पुलिस ने गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) का शिंकजा कस दिया है।
हल्द्वानी के वनभूलपुरा में आठ फरवरी को हुई हिंसा ने शहर में दहशत का माहौल पैदा कर दिया था। इसमें कई लोग घायल हुए और 100 से अधिक सरकारी और निजी वाहनों को जला दिया गया था। यहां तक कि वनभूलपुरा थाने को भी आग के हवाले किया गया था। हिंसा के दौरान पांच लोगों की मौत भी हो गई थी। इसके बाद लगाए गए कफ्र्यू के चलते हिंसाग्रस्त क्षेत्र के लोगों को करीब 12 दिन तक घरों में कैद रहना पड़ा। शहर की कई व्यवस्थाएं चौपट हो गईं और कई काम भी बड़े स्तर पर प्रभावित हुए। इस मामले में पुलिस ने अब्दुल मलिक, उसके बेटे अब्दुल मोईद सहित अन्य लोगों के खिलाफ वनभूलपुरा थाने में आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 307, 395, 323, 332, 341, 342, 353, 427 और 436 में मुकदमा दर्ज किया है। सूत्रों के अनुसार मलिक के खिलाफ पुलिस ने गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के सेक्शन 15 के तहत कार्रवाई की है। कानून के जानकारों के मुताबिक यह एक्ट तब लगाया जाता है जब कोई व्यक्ति भारत की एकता, अखंडता, सुरक्षा, संप्रभुता को संकट में डालने, भारत में आतंक फैलाने या आतंक फैलाने की संभावना के इरादे से गैरकानूनी गतिविधि करता है या उसकी संलिप्तता होती है। इसमें बम धमाकों से लेकर जाली नोटों तक का कारोबार शामिल है। दोष सिद्ध होने पर आरोपी को पांच साल से उम्रकैद तक की सजा हो सकती है। मलिक के खिलाफ पुलिस ने उत्तराखंड लोक संपत्ति अधिकार अधिनियम, आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम और गैर कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) में भी मुकदमा दर्ज किया है। बताया कि मलिक के खिलाफ 16 धाराओं में कार्रवाई की गई है। बता दें कि यूएपीए के तहत कार्रवाई के चलते अब्दुल मलिक को अब तीन महीने तक जमानत नहीं मिल सकती।