देहरादून। अनीता रावत
हरिद्वार महाकुंभ के दौरान हुए कोरोना जांच फर्जीवाड़े में सरकार ने मेला अधिकारी स्वास्थ्य डॉ अर्जुन सिंह सेंगर और प्रभारी स्वास्थ्य अधिकारी मेला डॉ एनके त्यागी को निलम्बित कर दिया है। इस मामले में विभाग के कुछ अन्य कर्मचारियों पर भी कार्रवाई की तैयारी है।
फर्जी कोरोना जांच मामले की गूंज पिछले दो तीन दिनों से लगातार विधानसभा में सुनाई दे रही थी। विपक्ष इस मामले में सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहा था। इसे देखते हुए बुधवार को ही स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने इस प्रकरण से जुड़ी फाइल तलब की थी। गुरुवार को दो अधिकारियों के खिलाफ निलंबन की कार्रवाईकी गई। वहीं इस मामले में विभागीय जांच का भी निर्णय लिया है। निदेशक स्वास्थ्य डॉ एसके गुप्ता को इस मामले में जांच अधिकारी बनाया गया है। डॉ गुप्ता की ओर से इस मामले में अब दोनों अधिकारियों को आरोप पत्र दिए जाएंगे और जबाव आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। गौरतलब है कि हरिद्वार महाकुंभ के दौरान कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए सराकर ने बड़े स्तर पर सैंपलिंग का निर्णय लिया था। लेकिन कुछ लैब ने इसमें भारी गड़बड़ी कर करोड़ों के बिल भुगतान के लिए प्रस्तुत कर दिए। आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान ने 10 जून के अंक में इस फर्जीवाड़े का खुलासा किया था। इसके बाद यह मामला पूरे देश में चर्चित हो गया और सरकार ने इस मामले में हरिद्वार के जिलाधिकारी को जांच के आदेश दिए। फिर सीडीओ की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई। कमेटी ने अपनी जांच में बड़े स्तर पर गड़बडियों की पुष्टि करते हुए विभाग के अधिकारियों पर सवाल खड़े किए थे। इसके बाद अब सरकार की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार मेला अधिकारी स्वास्थ्य डॉ अर्जुन सिंह सेंगर और प्रभारी स्वास्थ्य अधिकारी मेला डॉ एनके त्यागी को इस मामले में निलम्बित कर दिया है। इसके साथ ही सरकार ने इस मामले में गठित एसआईटी को संबंधित फर्मों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश भी दिए गए हैं।