लखनऊ। प्रिया सिंह
बहराइच में कैसरगंज के कोटवा कहरई मैं बंधक बनाए गए छत्तीसगढ़ के 3 परिवार के 11 सदस्यों को बुधवार को नई जिंदगी मिली।रोजी रोजगार के लिए सैकड़ों किलोमीटर से आकर यह परिवार यहां दो जून की रोटी कमाने में लगे थे। नेशनल कैंपेन कमेटी फार एरेडिकेशन ऑफ बांडेड लेबर’ नई दिल्ली ने देहात संस्था के कार्यकारी अध्यक्ष को जानकारी दी कि बहराइच के कैसरगंज में एक ईंट भट्ठे पर बिलासपुर छत्तीसगढ़ के तीन मजदूर परिवारों के 11 सदस्यों को बंधक बनाकर रखा गया है। इनमें एक नवजात शिशु भी है। इस सूचना पर डीएम और एसपी से संपर्क किया गया। श्रम परिवर्तन अधिकारी विश्वदेव भारती, सत्येंद्र पांडेय, चाइल्ड लाइन की रिया सिंह रेखा वर्मा, आलोक शुक्ल, तहसीलदार कैसरगंज सोहनलाल, उपनिरीक्षक रामलाल यादव और देहात संस्था के मुख्य कार्यकारी डॉ. जितेंद्र चतुर्वेदी की संयुक्त टीम ने ईंट भट्ठे पर छापामारी की। इस दौरान छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के पचपेड़ा थाना क्षेत्र के केवटाडीह टांगर के रहने वाले शिवनरायन पत्नी मानकी बाई, उपित राम, पत्नी राहिन देवी, कन्हैया, पत्नी किरन देवी के साथ पांच बच्चे मुक्त कराए गए हैं। डॉ.चतुर्वेदी ने बताया कि मानव तस्कर द्वारा उन्हें सात हजार रुपये अग्रिम देकर यहां लाया गया था। यहां आते ही उन्हें बंधक बना लिया गया। रात में मजदूरों के परिवारों को अलग कर भट्ठा मालिक अपने ऑफिसनुमा कमरे में बंद कर देता था। मारपीट, गाली-गलौज आम बात थी। मजदूरों ने बताया कि अब तक वे करीब डेढ़ लाख ईंटे बना चुके थे, पर कोई मजदूरी नहीं मिली थी। सप्ताह में उन्हें सिर्फ 600 रुपये दिए जाते थे। महिलाओं ने बताया कि उनके साथ भी अभद्र व्यवहार किया जाता था। मुक्त कराए गए बंधुआ मजदूरों का बयान भी मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज हुआ है। थाने पर तहरीर दी गई है।