नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य मल्लिकार्जुन खरगे ने सोमवार को राज्यसभा में सत्ता पक्ष पर हमला बोला। कहा कि आरएसएस वाले चाहते हैं कि संविधान मनु स्मृति जैसा हो। जो लोग भारत के राष्ट्रीय ध्वज, अशोक चक्र और हमारे संविधान से नफरत करते हैं, वह आज हमें संविधान का पाठ पढ़ा रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि आज संविधान खतरे में है।
भारतीय संविधान की 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए खरगे ने कहा कि पहली बार 26 जनवरी, 2002 को अदालत के आदेश के बाद आरएसएस के मुख्यालय पर तिरंगा फहराया गया। खरगे ने कहा कि जब संविधान को स्वीकार किया गया तो हमें इसके तहत ही चलना चाहिए। एक दूसरे की खामियां निकाले जाने पर कई बातें निकलेंगी। लोकतंत्र में संसद सत्ता पक्ष और विपक्ष के साथ चलती है। उन्होंने भाजपा पर तंज कसा कि आज देश में अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और महिलाओं पर अत्याचारों का सिलसिला जारी है, जो बताता है कि संविधान खतरे में है। इसकी रक्षा के लिए सबको चौकस रहना होगा। उन्होंने सत्ता पक्ष से कहा कि अपनी सरकारों के राज्यों की स्थिति देखिए। करीब 1.19 घंटे के अपने संबोधन में खरगे ने भाजपा सरकार को विभिन्न मुद्दों पर कटघरे में खड़ा किया। वहीं, राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने खरगे से कहा कि उन्होंने अदालत के एक आदेश का जिक्र अपने भाषण में किया है, इसलिए वह उसकी एक प्रति सत्यापित कर सदन में पेश करें। खरगे ने कहा कि संविधान सत्ता का नैतिक मार्गदर्शक है और उसका अनुसरण करना चाहिए। जिन लोगों ने देश के लिए आवाज ही नहीं उठाई, देश के लिए लड़ा ही नहीं, वह लोग क्या जानेंगे कि आजादी क्या होती है। उन्होंने सवाल किया कि इस सरकार ने पिछले 11 साल में ऐसा कौन सा काम किया है जिससे देश का लोकतंत्र और संविधान मजबूत हुआ है। खरगे ने कहा कि खाद्य सुरक्षा अधिनियम, मनरेगा और शिक्षा का अधिकार अधिनियम कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकार ले कर आई और आज भी गरीबों के लिए यह कानून मददगार हैं। यहां तक कि कोविड काल में मनरेगा मजदूरों का सबसे बड़ा सहारा था।