नई दिल्ली। अर्पणा पांडेय
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने आजादी के बाद वीर सावरकर को बदनाम करने की मुहिम को सुनियोजित करार दिया। उन्होंने कहा है कि आने वाले समय में स्वामी विवेकानंद, दयानंद सरस्वती और महर्षि अरविंद का नंबर आएगा। उन्होंने कहा कि जिन्होंने भारत का संपूर्ण राष्ट्रघोष किया, उनको बदनाम किया जा रहा है। संघ प्रमुख ने दो टूक कहा कि वीर सावरकर का हिंदुत्व, विवेकानंद का हिंदुत्व ऐसा बोलने का फैशन हो गया है। हिंदुत्व एक ही है और आखिर तक वही रहेगा, वह सनातन है।
भागवत ने मंगलवार को उदय माहूरकर व चिरायु पंडित की वीर सावरकर पर लिखी पुस्तक का विमोचन करते हुए कहा कि आज के समय में वीर सावरकर के बारे में सही जानकारी का अभाव है। सावरकर ने उन परिस्थितियों में हिंदुत्व का उद् घोष किया, अगर उसे सुना जाता तो देश का विभाजन नहीं होता। उन्होंने कहा कि भारत को जोड़ने से जिसकी दुकान बंद हो जाए उनको यह अच्छा नहीं लगता है। ऐसे जोड़ने वाले विचार को धर्म माना जाता है, लेकिन यह धर्म जोड़ने वाला है न कि पूजा पद्धति के आधार पर बांटने वाला। इसी को मानवता या संपूर्ण विश्व की एकता कहा जाता है। सावरकर ने इसी को हिंदुत्व कहा।
संघ प्रमुख ने कहा कि सावरकर को बदनाम करने का प्रचार-प्रसार अभी भी चल रहा है। महात्मा गांधी व सावरकर के मत भिन्न थे, उनको एक बताना भी नहीं चाहिए। लेकिन दोनों की भावना एक थी, दोनों ने एक दूसरे के लिए इसी भावना से बयान भी दिए थे। भागवत ने कहा कि संसद में क्या-क्या नहीं होता, बस मारपीट नहीं होती, लेकिन बाहर आकर सब एक साथ होते हैं, चाय पीते हैं, शादी-ब्याह में एक दूसरे के यहां जाते हैं। वहां सब समान हैं इसलिए अलवाव व विशेषाधिकार की बात मत कहो। कर्तव्य व अधिकारी दोनों में बराबरी दिखाने वाला युग है।
भागवत ने कहा कि कुछ लोग मानते हैं कि सावरकर का युग आ रहा है। पहले राष्ट्रनीति सुरक्षा नीति के पीछे चलती थी। अब 2014 के बाद से राष्ट्रनीति सुरक्षा नीति के पीछे चल रही है। तो यह सही है। अलग-अलग दिखने से कोई अलग नहीं होता है।