अहमदाबाद। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने गुरुवार को कहा कि दुनिया में कोई भी अन्य आयोजन सद्भाव एवं एकता के मामले में महाकुंभ जितना शक्तिशाली संदेश नहीं देता। यहां कोई भी व्यक्ति अपनी पहचान की परवाह किए बिना गंगा में स्नान कर सकता है। उन्होंने कहा, प्रयागराज में महाकुंभ का जिस पैमाने पर आयोजन किया गया है, उसे देखकर दुनियाभर के लोग आश्चर्यचकित हैं।
शाह यहां गुजरात विश्वविद्यालय परिसर में हिंदू आध्यात्मिक एवं सेवा मेले का उद्घाटन करने के बाद सभा को संबोधित कर रहे थे। केंद्रीय गृह मंत्री ने दावा किया कि एक समय था जब हिंदू अपने ही देश में अपनी पहचान बताने से कतराते थे। उन्होंने कहा, दस साल में स्थितियां बदल गई हैं। अब हमारी विचारधारा के अनुसार लगभग सभी लंबित कार्य पूरे हो चुके हैं, चाहे वह जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाना हो, अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो, तीन तलाक की समाप्ति हो या समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लागू करना हो। राष्ट्रीय स्तर पर हालांकि समान नागरिक संहिता लागू नहीं की गई है, लेकिन भाजपा शासित राज्य उत्तराखंड ने इसे लागू कर दिया है। शाह ने पिछले महीने राज्यसभा में कहा था कि इसे सभी राज्यों में लागू किया जाएगा। शाह ने यहां अपने भाषण में कहा कि मोदी सरकार ने इन अधूरे कार्यों को दस साल में पूरा कर दिया जबकि पिछली सरकारों ने 70 साल तक इन्हें छुआ तक नहीं था। भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा कि विभिन्न देशों के राजदूतों ने कुंभ में उनसे निमंत्रण पत्र के लिए अनुरोध किया था। शाह ने कहा, मैंने उनसे कहा कि इस विशाल समारोह के लिए कोई औपचारिक निमंत्रण नहीं है, क्योंकि करोड़ों लोग ग्रहों की स्थिति के अनुसार एक विशिष्ट समय पर यहां एकत्रित होते हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात पर विश्वास नहीं हुआ होगा कि बिना किसी निमंत्रण के 40 करोड़ लोग एक स्थान पर एकत्रित हो गए। मंत्री ने कहा कि जब उनसे पूछा गया कि यह आयोजन कौन करता है, तो उन्होंने कहा, मैंने उनसे कहा कि सरकार जो करती है, वह धार्मिक नेताओं, संतों और उनके संगठनों द्वारा वहां जाने वाले लोगों के लिए किए जाने वाले कार्यों की तुलना में बहुत छोटा है। शाह ने कहा, कुंभ सद्भाव और एकता का संदेश देता है क्योंकि इसमें यह नहीं पूछा जाता आप किस धर्म, संप्रदाय या जाति से हैं। आपको बिना किसी भेदभाव के भोजन मिलता है। स्नान के बाद आप घर वापस जा सकते हैं। दुनिया में कोई भी अन्य आयोजन महाकुंभ की तुलना में सद्भाव और एकता का इतना शक्तिशाली संदेश नहीं देता। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में तीर्थयात्रियों के एकत्र होने के बावजूद कोई भी होटल में नहीं रहता, क्योंकि सभी को गंगा के किनारे लगे तंबुओं में रहने की सुविधा मिलती है। उन्होंने कहा कि ऐसी व्यवस्थाएं सदियों से होती रही हैं, यहां तक कि मुगल और ब्रिटिश शासन के दौरान भी और जब कांग्रेस सत्ता में थी, तब भी। उन्होंने गुजरात के लोगों, विशेषकर युवा पीढ़ी से महाकुंभ में आने का आग्रह किया। शाह ने कहा कि वह खुद 27 जनवरी को गंगा में स्नान करने के लिए महाकुंभ जाएंगे। शाह ने हिंदू आध्यात्मिक सेवा मेले के आयोजन के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि आरएसएस ने इस आयोजन के माध्यम से सभी सेवा-उन्मुख हिंदू संगठनों को एक छत के नीचे लाने का काम किया है। गृहमंत्री ने कहा कि सेवा मेले में समाज की भलाई के लिए काम करने वाले हिंदू संगठनों के लगभग 200 स्टॉल हैं। इनमें से एक स्टॉल महारानी अहिल्याबाई होलकर को समर्पित है, जो 18वीं शताब्दी में इंदौर राज्य की शासक थीं।