नई दिल्ली। नीलू सिंह
ऑनलाइन वेब सीरीज का चस्का भारत के युवाओं को ना सिर्फ बीमार बना रहा है, बल्कि भुलक्कड़ भीी बना रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार वेब सीरीज देखने के लिए युवा घंटों तक मोबाइल से चिपके रहते हैं। नतीजतन, वे अवसाद और भूलने जैसी बीमारी से ग्रसित हो रहे हैं। इतना ही नहीं, वेब सीरीज इंटरनेट के एडिक्शन का तीसरा बड़ा कारण बन गया है। मीडिया में जारीी एक रिपोर्ट युवाओं और किशोरों में इंटरनेट की लत लगने का सबसे बड़ी वजह गेमिंग है। इसके बाद सोशल मीडिया और तीसरे नंबर पर वेब सीरीज हैं। एम्स के डॉक्टरों की मानें तो पहले वेब सीरीज को को ज ब वेब एडिक्शन का कारण नहीं माना जाता था, लेकिन हाल ही में इस संबंध में रिसर्च प्रकाशित हुई है। इसमें वेब सीरीज को इंटरनेट की लत लगने की तीसरी बड़ी वजह मानी गई है। एम्स में हम इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार वेब सीरीज देखने की आदत बिहेवियर एडिक्शन का हिस्सा है। 15 से 30 वर्ष के युवा इसके ज्यादा शिकार हो रहे हैं। यह एक नशे की तरह है। जब तक इसके शिकार पूरी सीरीज नहीं देख लेते, उनका मन किसी दूसरे काम में नहीं लगता। इसकी वजह से वह अवसाद, भूलने, चिंता, डर आदि से ग्रस्त हो जाते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि
वेब एडिक्शन किशोर और युवाओं की सेहत बिगाड़ रहा है। बीते छह माह से ऐसे मरीजों की संख्या अस्पतालों में दोगुनी हो गई है। मनोचिकित्सक इसे शारीरिक, समाजिक और पारिवारिक स्तर पर गंभीर समस्या बता रहे हैं। सूत्रोंं से मिली जानकारी के अनुसार अस्पतालों में हर महीने कम से कम 20 ऐसे मरीज भर्ती हो रहे हैं। बताया जा रहा है कि दो-तीन माह पहले तक वेब सीरीज देखने के बाद हुई परेशानी के मरीज न के बराबर थे, लेकिन अब हर माहे तीन ऐसे मरीज इलाज के लिए आ रहे हैं। एक डॉक्टर ने बताया कि बताया कि मैं एक ऐसे मरीज का इलाज कर रही हूं, जो वेब सीरीज देखने के चक्कर में करीब दो दिन तक घर से बाहर ही नहीं निकला। किशोर और युवाओं को इस लत से बचना चाहिए, वरना भविष्य में कई मानसिक बीमारियां हो सकती हैं। इतना ही नहीं मेट्रो सिटी के साथ मिलेनियम सिटी में भी बच्चों और युवाओं में मोबाइल या इंटरनेट से चिपके रहने की शिकायतें सामने आ रही हैं। डॉक्टरों के मुताबिक, यह एक प्रकार का गंभीर डिसआर्डर है। रिपोर्ट के अनुसार, इंटरनेट से चिपके रहने के कारणों में वेब सीरीज व गेमिंग शामिल हैं। इसके ज्यादा इस्तेमाल से बच्चे खासकर किशार प्री-ऑक्युपाइड हो जाते हैं। ऐसे स्थिति में वे अपने पहले के क्रियाकलापों से दूर हो जाते हैं। इससे किशोरों में चिड़चिड़ापन आ जाता है। वे सामाजिक तौर पर अलग-थलग पड़ जाते हैं। ऐसा देखा गया कि ऐसे किशोर उदास रहन लगते हैं। मनोवैज्ञानिकों के मुताबिक, प्रतिदिन ओपीडी में दो से तीन मामले ऐसे सामने आते हैं। बच्चों को वेब एडिक्शन नहीं हो इसके लिए माता-पिता की जिम्मेदारी अहम है। वे बच्चे को समय दें। साथ ही, आउटडोर क्रियाकलाप बढ़ाएं और बच्चे पर नजर भी रखें।