बदल रहा है भारतीय युवाओं की सोच, परिवार को दे रहे हैं समय

अल्मोड़ा उत्तराखंड लाइव राज्य समाचार

नई दिल्ली, देव कुमार। भारतीय युवाओं की सोच अब बदल रही है। पहले अकेले घुमने वाले युवा भी अब परिवार के साथ छुट्टियां मनाने की योजना बनाने लगे हैं। इतना ही नहीं मां-बाप भी बच्चों के पंसद वाले स्थान पर जाने की सोच रहे हैं।
हिल्टन 2025 ट्रेंड्स रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार घूमने की योजना बनाने की जिम्मेदारी 93 फीसदी युवा पीढ़ी संभाल रही है। 76 प्रतिशत भारतीय माता-पिता अपने बच्चों की रुचि के आधार पर छुट्टियों का स्थान चुनते हैं। रिपोर्ट के अनुसार देश में 14 वर्ष या उससे कम आयु के युवाओं की आबादी देश की कुल आबादी का एक चौथाई है। जबकि 1997 और 2012 के बीच जन्मी पीढ़ी का हिस्सा 30 फीसदी है। सर्वेक्षण के अनुसार घूमने की जगह चुनने में युवाओं की भूमिका सबसे अधिक है लेकिन बाकी निर्णय माता-पिता का ही होता है। जैसे परिवहन (44 प्रतिशत), भोजन (40 प्रतिशत), आवास (32 प्रतिशत), बजट (28 प्रतिशत) और यात्रा की अवधि (26 प्रतिशत) सहित लॉजिस्टिक निर्णय माता-पिता द्वारा ही लिए जा रहे हैं। भारत में युवा सालाना औसतन दो से तीन यात्राएं करते हैं। यात्रा के प्रति यह जुनून उनकी भविष्य की योजनाओं में भी दिखता है। 90 फीसदी युवाओं ने कहा कि वे अगले साल यात्रा करेंगे। 87 प्रतिशत लोग नई जगहों पर जाना चाहते हैं। युवा देश के अंदर और देश के बाहर दोनों जगहों पर जाने की इच्छा रखते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में जेनेरेशन अल्फा(14 साल से कम) और जेनरेशन जेड(1997 से 2012 के बीच जन्मे) यात्री भारत और विदेश दोनों जगहों पर घूमने के लिए जाना चाहते हैं। यानि वे भारत के समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के साथ वैश्विक रोमांच को भी समझना चाहते हैं। जेन वाई (मिलेनियल्स)(1981 से 1996 के बीच जन्मे) अल्फा और जेड के विपरीत अभी भी एशियाई देशों में जाना चाहते हैं। ये रिपोर्ट दो सर्वेक्षणों पर आधारित है। इप्सोस सर्वेक्षण और वनपोल द्वारा एशिया-प्रशांत पर केंद्रित सर्वेक्षण। इप्सोस सर्वेक्षण में 13 देशों में 13001 वयस्कों को शामिल किया गया था जबकि वनपोल सर्वेक्षण में ऑस्ट्रेलिया,चीन, भारत, जापान और सिंगापुर से 6 से 19 वर्ष की आयु के बच्चों और माता-पिता को शामिल किया गया था।

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