हल्द्वानी। अनीता रावत
भारत-चीन स्थल अंतरराष्ट्रीय कारोबार की मंडी गुंजी में दो साल तक कोरोना के कहर के कारण पसरे सन्नाटे को ढोल, नगाडों की ध्वनि के साथ भजन, गीत संगीत की स्वर लहरियों ने उत्सव में बदल दिया है। वीरान हो चुकी गुंजी में फिर चहल पहल है, निराश हो चुके कारोबारियों के चेहरों पर अब पर्यटन कारोबार से भविष्य की उम्मीदें जागी हैं।
गुंजी ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। यह भारत चीन कारोबार की मंडी के साथ शिव धाम मानसरोवर जाने का प्रमुख पड़ाव है। शिवोत्सव के आयोजन से गुंजी की आध्यात्मिक पहचान मजबूत हुई है। समुद्र की सतह से 11 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित गुंजी में माइनस 3 डिग्री तापमान के बीच शिवोत्सव का आयोजन ऐतिहासिक है। गुंजी में अंतरराष्ट्रीय भारत चीन ट्रेड के न होने से पैदा हुए नैराश्य को इसने काफी हद तक कम किया है। भगवान शिव के धाम आदि कैलाश, ओम पर्वत के साथ मानसरोवर यात्रा का गुंजी प्रमुख केंद्र रहा है।
2020 में लिपुलेख तक धारचूला से सड़क बन जाने के बाद यहां पहुंच पाना आसान हुआ है। देश विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु शिव धाम के दर्शनों के लिए आ रहे हैं। इस साल आपदा से पहले के 120 दिनों में 900से अधिक लोगों ने आदि कैलाश व ओम पर्वत के दर्शन किए। 17अक्तूबर से आई आपदा के बाद इस यात्रा पर ब्रेक लग गया। अब भी आपदा से अधिकतर रास्ते सीमांत के बंद हैं। इसके बावजूद शिवोत्सव के आयोजन के कारण पर्यटक व स्थानीय लोग हर हर महादेव के उद्घोष के साथ गुंजी पहुंच रहे हैं। इससे स्थानीय पर्यटन आधारित कारोबार से जुड़े लोग उत्साहित हैं। गुंजी में कारोबारी अर्चना गुंज्याल हम उत्साहित हैं। कोरोना ने यहां सब कुछ तबाह कर दिया। अब इस आयोजन से संभावना दिख रही है। वहीं दिनेश गुंज्याल ने कहा कि कारोबार के लिहाज से आयोजन बेहतर है। भविष्य में इसका अधिक लाभ मिलेगा।