लखनऊ। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को महाराष्ट्र के पुणे स्थित आलंदी में आयोजित श्रीगीता भक्ति अमृत महोत्सव कहा कि महाराष्ट्र भक्ति और शक्ति की भूमि रही है। यहीं गुरु समर्थ रामदास ने वीर छत्रपति शिवाजी का मार्गदर्शन किया। जब-जब भक्ति और शक्ति का अद्भुत मिलन होता है, गुलामी की दासता से मुक्ति मिलती है और 500 वर्ष की गुलामी की दासता से मुक्त होकर आज अयोध्या में प्रभु श्रीराम का भव्य मंदिर बन चुका है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि संतों के सानिध्य और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पुरुषार्थ से 22 जनवरी की ऐतिहासिक तिथि के हम सब साक्षी बने हैं। नव्य और भव्य अयोध्या आप सभी को आमंत्रित कर रही है। इससे पहले सीएम योगी का यहां देश भर से पधारे साधु-संतों ने जोरदार स्वागत किया और उन्हें राममंदिर निर्माण का नायक बताते हुए उनका अभिनंदन किया। सीएम योगी कहा कि जब वे यूपी के मुख्यमंत्री बने तो आगरा में बन रहे मुगल म्यूजियम का नाम बदलकर छत्रपति शिवाजी म्यूजियम रखा गया। उत्तर प्रदेश का डिफेंस कॉरिडोर भी वीर छत्रपति शिवाजी के नाम से ही है। उन्होंने गोविंद देव गिरी के बारे में कहा कि उन्होंने पूरा जीवन सनातन धर्म को समर्पित कर दिया है। पूरी दुनिया में वैदिक पाठशालाओं को स्थापित कर और श्रीमद्भागवत् गीता को जन-जन तक पहुंचाने के लिए वेदपाठियों की एक लंबी शृंखला देश को देने का कार्य किया है। अब ये देश वेदों से मार्गदर्शन प्राप्त कर रहा है। योगी ने स्वामी गोविंद देव गिरि को अंगवस्त्र और गणेश प्रतिमा भेंटकर सम्मान किया। मुख्यमंत्री ने स्वामी गोविंद देव गिरी के जीवन पर आधारित स्मारिका का विमोचन भी किया। वहीं कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य विजयेन्द्र सरस्वती ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अंगवस्त्र पहना कर तथा प्रसाद प्रदान कर उनका विशेष रूप से सम्मान किया। सीएम योगी ने कहा कि 75 साल से वैदिक सनातन धर्म के लिए अपने पुरुषार्थ, अपनी साधना और परिश्रम से स्वामी गोविंद देव गिरी ने जो कार्य किया, जो आशीर्वाद सनातन हिन्दू धर्मावलम्बियों को दिया है, ये अवसर उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का है। सीएम योगी ने कहा कि समर्थगुरू रामदास ने छत्रपति शिवाजी को महाराष्ट्र की भूमि से मार्गदर्शन प्रदान किया था। उस कालखंड में औरंगजेब की सत्ता को चुनौती देते हुए उसे तड़पने और मरने के लिए ऐसा छोड़ा कि आज तक उसे कोई पूछ नहीं रहा। सीएम योगी ने कहा कि लंबे समय से उनके मन में आलंदी आने की इच्छा थी। इस अवसर पर यहां आने का सौभाग्य उन्हें प्राप्त हुआ है। योगी ने बताया कि बचपन में उन्होंने ज्ञानेश्वरी पढ़ी थी। मात्र 15 साल की आयु में ज्ञानेश्वरी का उपदेश देकर भक्तों को नई राह दिखाने का कार्य स्वामी ज्ञानेश्वर ने किया। मात्र 21 साल में संजीव समाधि लेकर भारत के आध्यात्म को पूरे भूमंडल पर लहराने का कार्य स्वामी ज्ञानेश्वर ने किया था।