देहरादून। अनीता रावत
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में दवाओं के प्रयोग में गलतियों व विसंगतियों के घातक प्रभाव विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें विशेषज्ञों ने इस तरह की घटनाओं से होने वाले आर्थिक व शारीरिक नुकसान और बचाव पर व्याखानमाला प्रस्तुत की।
इस दौरान एम.फार्मा के बच्चों ने नुक्कड़ नाट्य प्रस्तुति के जरिए संदेश दिया। संस्थान के फार्माकोलॉजी विभाग की ओर से मंगलवार को संगोष्ठी का आयोजन किया गया। अपने संदेश में एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने कहा कि मरीजों की देखभाल की गुणवत्ता में सुधार के लिए फार्माकोलॉजी विभाग बेहतर टीम वर्क कर रहा है। जिसके तहत औषधि विज्ञान विभाग नर्सिंग स्टाफ को दवाओं के दुष्परिणाम व औषधीय सुरक्षा पर प्रशिक्षित कर रहा है। निदेशक एम्स प्रो.रवि कांत ने बताया कि इसका उद्देश्य औषधीय सुरक्षा और सुरक्षित दवाओं के अभ्यास के प्रति प्रतिभागियों को जागरूक करना है। इस दौरान विशेषज्ञों ने दवाओं के गलत इस्तेमाल, दवा लेने में विसंगति, दवाओं के विक्रय के समय होने वाली गलतियों,समय पर दवा नहीं लेने के दुष्प्रभाव,चिकित्सक के परामर्श के अनुपालन में होने वाली त्रुटियों को रोकने व इससे बचने के उपाय बताए।
विभागाध्यक्ष डा.शैलेंद्र हांडू ने बताया कि एम्स संस्थान का औषधि विज्ञान भारत सरकार के आंचलिक केंद्र के तौर पर दवा सतर्कता केंद्र की भूमिका निभा रहा है। उन्होंने बताया कि विभाग दवाओं से होने वाले दुष्प्रभावों की निगरानी, पहचान व अध्ययन भी करता है। संगोष्ठी में प्रतिभागियों को किसी भी प्रकार की प्रतिकूल स्थितियों के अवलोकन व रिपोर्टिंग का प्रशिक्षण दिया गया। विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर पुनीत धमीजा व राजेंद्र कुमार ने दवाओं के उत्पादन में गुणवत्ता व इस कार्य में खामियां बरतने पर होने वाले दुष्प्रभाव बताए। फार्माकोविजिलेंस एसोसिएट पल्लवी श्रीवास्तव ने दवाओं के उपयोग को लेकर सतर्कता व दुष्प्रभावों के बारे में बताया। संगोष्ठी में अस्पताल की दवा सुरक्षा पहल की विस्तृत जानकारी दी गई। इस अवसर पर डीएमएस डा.अनुभा अग्रवाल,डा.सुमित, पंकज पंत, अनुराग, गायत्री, मीना, मनीषा, ऋतु आदि मौजूद थे।