नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पूछा कि जय श्री राम का नारा लगाना कैसे आपराधिक कृत्य है। न्यायमूर्ति पंकज मिथल और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की।
इस याचिका में कर्नाटक हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें मस्जिद के अंदर कथित तौर पर जय श्री राम का नारा लगाने के लिए दो व्यक्तियों के खिलाफ कार्यवाही 13 सितंबर को रद्द कर दी गई थी। शिकायतकर्ता हैदर अली द्वारा दायर याचिका पर पीठ ने पूछा कि वे एक विशेष धार्मिक नारा लगा रहे थे या नाम ले रहे थे। यह अपराध कैसे है? शीर्ष अदालत ने शिकायतकर्ता से यह भी पूछा कि मस्जिद के अंदर आकर कथित तौर पर नारे लगाने वाले व्यक्तियों की पहचान कैसे की गई। पीठ ने याचिकाकर्ता से याचिका की एक प्रति राज्य सरकार को देने को कहा और मामले की अगली सुनवाई जनवरी 2025 के लिए स्थगित कर दी। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि यह समझ से परे है कि अगर कोई जय श्रीराम का नारा लगाता है तो इससे किसी वर्ग की धार्मिक भावना कैसे आहत होगी। अदालत ने यह भी कहा था कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि कथित घटना से सार्वजनिक शरारत या कोई दरार पैदा हुई है।