लखनऊ। राजेंद्र तिवारी
उत्तर प्रदेश में अस्पतालों के पंजीकरण के मानक नए साल से बदल जाएंगे। इसके तहत अस्पताल संचालकों को द क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट 2010 के तय सभी मानकों का पालन करना होगा। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद ने महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, समस्त डीएम और सीएमओ को निर्देश जारी किया है।
जिलों में अस्पतालों के पंजीकरण का काम अभी सीएमओ के स्तर से होता था। मगर अब डीएम की अध्यक्षता वाली जिला रजिस्ट्रीकरण प्राधिकरण द्वारा किया जाएगा। इसके अलावा प्रदेश स्तर पर राज्य नैदानिक स्थापन परिषद होगी, जो अपील संबंधी मामलों में सुनवाई करेगी। अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद ने कहा है कि अस्पतालों के पंजीकरण की मौजूदा व्यवस्था इस साल 31 दिसंबर के बाद लागू नहीं रहेगी। वर्तमान व्यवस्था के तहत पंजीकृत सभी अस्पतालों के पंजीकरण की वैधता 31 मार्च 2022 को स्वत: खत्म हो जाएगी। ऐसे सभी अस्पतालों को 31 मार्च से पहले अपना पंजीकरण द क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट (रजिस्ट्रेशन एंड रेगुलेशन) एक्ट 2010 के तय मानकों के तहत कराना होगा। इस संबंध में महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं द्वारा पंजीकरण के लिए बने पोर्टल में नई व्यवस्था के हिसाब से जरूरी सुधार या संशोधन कर लिए जाएंगे। यह काम इसी साल 15 दिसंबर से पूर्व करना होगा। 15 दिसंबर से इस पोर्टल पर आवेदन सुविधा उपलब्ध करा दी जाएगी। इस संबंध में सभी सीएमओ और डिप्टी सीएमओ का प्रशिक्षण भी 15 दिसंबर से पहले पूरा करा लिया जाएगा। नई व्यवस्था के तहत पंजीकरण तो सभी अस्पतालों को कराना होगा मगर अभी सारे मानक 30 बेड या उससे अधिक वाले अस्पतालों को पूरे करने होंगे। उससे कम बेड वालों के लिए फिलहाल नियमों में थोड़ी छूट रहेगी। उनका पंजीकरण जनशक्ति, अग्निशमन तथा बायो मेडिकल वेस्ट अधिनियम से संबंधित मानक पूरे करने पर किया जाएगा।