नई दिल्ली। अर्पणा पांडेय
कांग्रेस पदाधिकारियों को अनुशासन और एकजुटता का पाठ कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मंगलवार को पढ़ाया। उन्होंने राज्य स्तर के नेताओं के बीच नीतिगत मुद्दों पर स्पष्टता और समन्वय की कमी पर भी नाराजगी जाहिर की।
सोनिया ने पार्टी महासचिवों, प्रदेश प्रभारियों और प्रदेश अध्यक्षों की बैठक में जहां केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा वहीं पार्टी नेताओं एवं कार्यकर्ताओं को भी पार्टी के अंदर अनुशासन का पाठ पढ़ाया। उन्होंने कहा कि हमें भाजपा और आरएसएस के द्वेषपूर्ण दुष्प्रचार के खिलाफ लड़ना है। अगर यह लड़ाई जीतनी है तो हमें पूरे संकल्प के साथ जनता के बीच उनके झूठ को बेनकाब करना होगा। सोनिया ने कहा कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी रोजाना विभिन्न मुद्दों पर अहम बयान जारी करती है। हालांकि, यह महसूस किया गया है कि बयान ब्लॉक और जिला स्तर के हमारे कार्यकर्ताओं तक नहीं पहुंचता। कुछ नीतिगत मुद्दे हैं, जिनके बारे में स्पष्टता एवं समन्वय के अभाव का पता चलता है। समन्वय का अभाव राज्य स्तर के नेताओं के बीच भी है। कांग्रेस अध्यक्ष ने पार्टी नेताओं से कार्यकर्ताओं को इस तरह से प्रशिक्षित करने का आह्वान किया कि वे भाजपा और संघ की ओर से चलाए जा रहे दुर्भावनापूर्ण दुष्प्रचार का मुकाबला कर सकें। उन्होंने कहा, आपको हमारे कार्यकर्ताओं को ऐसे भी प्रशिक्षित करना है कि वे कांग्रेस की विचारधारा को बरकरार रखते हुए आगे बढ़ें और दुष्प्रचार के खिलाफ लड़ाई लड़ें। सोनिया ने कहा, हमारा अपना इतिहास इस तथ्य का साक्षी है कि अगर संगठन को अन्याय और असमानता के खिलाफ सफल होना है, अगर कमजोरों के अधिकारों के लिए प्रभावी पैरोकार बनना है तो उसे जमीनी स्तर पर व्यापक आंदोलन का रूप लेना होगा। पार्टी मुख्यालय में हुई यह बैठक कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में सदस्यता अभियान, महंगाई के मुद्दे पर जन-जागरण अभियान और संगठनात्मक चुनाव के लिए निर्धारित कार्यक्रमों की पृष्ठभूमि में हुई है। इसमें कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी, संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और अन्य महासचिव, प्रभारी एवं प्रदेश कांग्रेस कमेटियों के अध्यक्ष शामिल हुए। कांग्रेस अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने भारत की संवैधानिक संस्थाओं को नष्ट करने का प्रयास किया है, ताकि वह जवाबदेही से बच सके। उसने संविधान के आधारभूत मूल्यों को कमजोर करने की कोशिश है, ताकि वह खुद के लिए निचले स्तर के मानक रख सके। केंद्र सरकार ने भारतीय लोकतंत्र की बुनियादी बातों को भी सवालों को घेरे में खड़ा किया है। सोनिया ने कहा, हमें दमन के शिकार लोगों के हक की लड़ाई में दोगुनी ताकत झोंकनी होगी। इनमें किसानों और खेतिहर मजदूरों से लेकर रोजगार के लिए लड़ते युवा, छोटे एवं मझोले कारोबारी तथा वंचित भाई-बहन शामिल हैं। कांग्रेस अध्यक्ष ने दमन के शिकार लोगों के हितों की रक्षा के वादे को सही मायने में सार्थक बनाने के लिए उन्हें संगठन में ज्यादा प्रतिनिधित्व देने पर जोर दिया।