नई दिल्ली। देव
सोशल मीडिया के मालिक, राजनेता और सरकारें ऑनलाइन सूचनाओं की विश्वसनीयता के लिए सबसे बड़े खतरे हैं। गलत सूचनाओं का अध्ययन करने वाले विशेषज्ञ समूह के सर्वे में यह दावा किया गया है। द इंटरनेशनल पैनल ऑन द इंफॉर्मेशन एनवायरनमेंट(आईपीआईई) की रिपोर्ट के अनुसार विशेषज्ञों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के मालिकों को खतरों में सबसे ऊपर रखा है, इसके बाद राजनेता और सरकारें हैं। शोध के अनुसार एआई जेनरेटेड वीडियो, आवाज, तस्वीरों से नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। इस तथ्य को सर्वे में 63 फीसदी लोग मानते हैं। इतना ही नहीं आने वाले पांच सालों में यह खतरा और बढ़ेगा।
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में इंटरनेट अध्ययन के प्रोफेसर और आईपीआईई के सह संस्थापक फिलिप हॉवर्ड ने कहा कि विशेषज्ञों की चिंताओं में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के मालिकों का प्रभाव सबसे प्रमुख है। फेसबुक, इंस्टाग्राम, एक्स, टेलीग्राम इत्यादि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कंटेंट के प्रसार और मॉडरेशन नीतियों पर इनके मालिकों का नियंत्रण सूचना की गुणवत्ता और अखंडता को प्रभावित करता है। इन संस्थाओं की अनियंत्रित शक्ति स्वस्थ सूचनाओं के लिए गंभीर जोखिम पैदा करती हैं।
सर्वे में भारत, चीन, नाइजीरिया, ब्राजील, पश्चिमी यूरोप और अमेरिका के सामाजिक विज्ञान, मानविकी और कंप्यूटर विज्ञान सहित अन्य क्षेत्रों के 412 विशेषज्ञ शामिल थे। मार्क जुकरबर्ग के बारे में व्हिसलब्लोअर ने दावा किया है कि फेसबुक और इंस्टाग्राम पर गैर अंग्रेजी भाषा सामग्री को कम मॉडरेट किया जाता है। टिकटॉक पर चीनी सरकार के दबाव में काम करने के आरोप लगे थे। एक्स के मालिक एलन मस्क अपने ट्वीट्स के अत्यधिक प्रचार की रिपोर्ट सामने आई है। हालांकि कंपनियों ने सभी आरोपों से इनकार किया है। रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि कई राजनेताओं ने राजनीतिक लाभ के लिए षड्यंत्र के तहत गलत सूचनाओं का उपयोग किया है। इसका नतीजा यह हुआ कि सूचना के विश्वसनीय स्रोतों और लोकतांत्रिक संस्थाओं पर से लोगों का विश्वास कम हुआ।