लखनऊ। राजेन्द्र तिवारी
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की मौत का रहस्य गहराने लगा है। मंगलवार देर शाम वायरल उनके सुसाइड नोट के बाद हड़कंप मच गया। सुसाइड नोट में नरेंद्र गिरि ने अपनी मौत का जिम्मेदार अपने शिष्य आनंद गिरि, आद्या और संदीप को बताया है। हालांकि इन तीनों से पुलिस शक के आधार पर पहले से ही पूछताछ कर रही है। लेकिन जो कारण सुसाइड नोट में सामने आए है वह चौकाने वाले हैं।
नरेंद्र गिरि का सुसाइड नोट मंगलवार शाम को पांच बजे वायरल होते ही हड़कंप मच गया। वायरल हुई सुसाइड नोट में लिखा है कि मैं महंत नरेंद्र गिरि, वैसे तो मैं 13 सितंबर 2021 को अत्महत्या करने जा रहा था, लेकिन हिम्मत नहीं कर पाया। आज जब हरिद्वार से सूचना मिली कि एक दो दिन में आनंद गिरि कम्प्यूटर के माध्यम से या मोबाइल से किसी लड़की या महिला के साथ मेरी फोटो लगाकर के गलत काम करते हुए, फोटो वायरल कर देगा। मैंने सोचा कहां-कहां सफाई दूंगा। एक बार तो बदनाम हो जाऊंगा। मैं जिस पद पर हूं, वह पद गरिमामई पद है। सच्चाई तो लोगों को बाद में पता चल जाएगी। लेकिन मैं तो बदनाम हो जाऊंगा। इसलिए आज मैं आत्महत्या कर रहा हूं, जिसकी पूरी जिम्मेदारी आनंद गिरि, आद्या प्रसाद तिवारी जो पहले प्रभारी थे व उनको मैंने निकाल दिया और संदीप तिवारी पुत्र आद्या प्रयास तिवारी की होगी। वैसे मैं पहले ही आत्महत्या करने जा रहा था, लेकिन हिम्मत नहीं कर पा रहा था। एक ऑडियो मैसेज आनंद गिरि ने जारी किया था। जिससे मेरी बदनामी हुई। आज मैं हिम्मत हार गया और आत्महत्या कर रहा हूं। मैं महंत नरेंद्र गिरि, मठ बाघंबरी गद्दी व बड़े हनुमान मंदिर ‘लेटे हनुमानजी’ अपने होशो हवास में बगैर किसी दबाव के मैं यह पत्र लिख रहा हूं, जब से आनंद गिरि ने मेरे ऊपर असत्य-मिथ्या व मनगढ़ंत आरोप लगाया तब से मैं मानसिक दबाव में जी रहा हूं। जब भी मैं एकांत में रहता हूं, मेरी मर जाने की इच्छा होती है। आनंद गिरि, आद्या प्रसाद तिवारी और उनका लड़का संदीप तिवारी ने मिलकर मेरे साथ विश्वासघात किया। मुझे जान से मारने का प्रयास किया। सोशल मीडिया, फेसबुक एवं समाचार पत्रों में आनंद गिरि ने मेरे चरित्र के ऊपर मनगढ़ंत आरोप लगाया। मैं मरने जा रहा हूं। सत्य बोलूंगा, मेरा घर से कोई सम्बन्ध नहीं है। मैंने एक भी पैसा घर पर नहीं दिया। मैंने एक-एक पैसा मंदिर और मठ में लगाया। अभी जो मठ एवं मंदिर का विकास किया सभी भक्त जानते हैं। आनंद गिरि द्वारा जो भी आरोप लगाया गया, उससे मेरी एवं मठ मंदिर की बदनामी हुई। मैं बहुत आहत हूं। मै आत्महत्या करने जा रहा हूं। मैं समाज में हमेशा शान से जिया। लेकिन आनंद गिरि ने मुझे गलत तरीके से बदनाम किया।
सुसाइड नोट में उन्होंने अपना उत्तराधिकारी भी चुन लिया है। उसमें लिखा है कि प्रिय बलवीर गिरि मठ मंदिर की व्यवस्था बनाने का प्रयास करना, जिस तरह से मैंने किया, इसी तरह से करना। आशुतोष गिरि, नितेश गिरि एवं मढ़ी के सभी महात्मा बलवीर गिरि का सहयोग करना। परम पूज्य महंत हरि गोविंद पुरी से निवेदन है कि महंत बलवीर गिरि को बनाना। महंत रविंद्र पुरी जी आपने हमेशा साथ दिया। मेरे मरने के बाद बलवीर गिरि का ध्यान दीजिएगा। सभी को मेरा ओम नमो नारायण। यही नहीं उन्होंने अपनी अंतिम इच्छाभी जताई है। उन्होंने लिखा है कि मेरी समाधि गद्दी में गुरु जी के बगल में नींबू के पेड़ के पास दी जाए। मैं दु:खी होकर आत्महत्या करने जा रहा हूं। मेरी मौत की जिम्मेदारी आनंद गिरि, आद्या प्रसाद तिवारी, संदीप तिवारी पुत्र आद्या तिवारी की होगी। प्रयागराज के सभी पुलिस अधिकारी एवं प्रशासनिक अधिकारियों से अनुरोध करता हूं कि मेरी आत्महत्या के जिम्मेदार उपरोक्त लोगों पर कानूनी कार्रवाई की जाए, जिससे मेरी आत्मा को शांति मिले।