चार से कम और नौ घंटे से ज्यादा नींद खतरनाक

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नई दिल्ली। चार घंटे से भी कम और नौ घंटे से अधिक सोना सेहत के लिए खतरनाक है। इससे बुद्धि, सोचने और तर्क करने की क्षमता पर सीधे असर पड़ता है। इसका खुलासा एक शोध में हुआ है। शोधकर्ताओं को दावा है कि ज्यादा सोने वालों पर सोने वालों पर नकारात्मक असर देखा गया है। हालांकि चार घंटे से कम सोने वालों के लिए डिमेंशिया का खतरा बढ़ जाता है।
पर्याप्त नींद न लेना इंसान के सोचने, समझने और तर्क करने की क्षमता पर असर डालता है। 45 साल से अधिक उम्र के वयस्कों का चार घंटे से कम नींद लेना और नौ घंटे से अधिक सोना दोनों ही उनकी सोचने – समझने की क्षमता को नकारात्मक तरीके से प्रभावित करता है। ऐसे लोगों में डिमेंशिया जैसी बीमारी का खतरा अधिक पाया गया है। यह जानकारी भारत के 35 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लगभग 14 हजार लोगों पर हुए एक अध्ययन में सामने आई है। यह अध्ययन एम्स दिल्ली, पीजीआई चंडीगढ़ और जिपमेर पांडिचेरी जैसे मशहूर मेडिकल संस्थानों के डॉक्टरों ने किया है। डॉक्टरों ने इस अध्ययन में 45 साल से अधिक आयु वाले पुरुषों और महिलाओं से उनके सोने और उठने के समय और ठीक से नींद के समय का पता लगाया। इसके बाद छह अलग अलग वैज्ञानिक पैमानों पर उनकी बुद्धि और समझ की जांच की। इसमें पता चला कि जो लोग चार घंटे से भी कम नींद ले रहे थे, उनकी बुद्धि, सोचने और तर्क करने की क्षमता कम पाई जा रही थी। इसके अलावा नौ घंटे से अधिक सोने वालों पर भी इसका नकारात्मक असर देखा गया लेकिन सबसे अधिक असर चार घंटे से कम सोने वालों पर दिखाई दे रहा था। इन्हें डिमेंशिया का खतरा सबसे अधिक था। सोते समय हमारी कोशिकाएं खुद को रिपेयर करते हैं और रिजूविनेशन की प्रक्रिया तेजी से होती है। इस दौरान हमारा दिमाग शॉर्ट टर्म मेमोरी से चीजों को लॉन्ग टर्म मेमोरी में ट्रांसफर करता है। जिस कारण से भरपूर नींद लेना हमारे दिमाग के काम के लिए काफी जरूरी होती है। नींद के दौरान , जब आपका शरीर आराम करता है, तो आपका मस्तिष्क दिन भर की जानकारी को संसाधित करने और यादें बनाने में व्यस्त रहता है। नींद न लेने से ध्यान में कमी, याददाश्त कमजोर होना, रिएक्शन टाइम धीमा होना, सवाल हल करने में दिक्कत आना, जैसी कई परेशानियां हो सकती हैं।

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