हल्द्वानी। अनीता रावत
भारत-नेपाल सीमा पर स्थित शारदा सागर में साइबेरियन पक्षियों का आगमन शुरू हो गया है। यह पक्षी विभिन्न जलाशयों में विचरण करेंगे। साइबेरियन पक्षियों के मांस की तासीर गर्म होने के कारण वन विभाग की तमाम सुरक्षा के बावजूद शिकारी इन पक्षियों का भारी मात्रा में शिकार कर आसपास के क्षेत्रों के अलावा पड़ोसी देश नेपाल में बिक्री करते हैं। इसीलिए वन विभाग ने पक्षियों के आने वाले क्षेत्र में पेट्रोलिंग शुरू कर दी है।
साइबेरियन पक्षियों के भारत में आने के साथ ही वन विभाग के लिए इन पक्षियों की सुरक्षा चुनाती बन जाती है। साइबेरिया से हजारों मील का लंबा सफर तय कर भारत आने वाले मेहमान पक्षी खटीमा में नेपाल सीमा पर एक तिहाई उत्तराखंड और दो तिहाई उत्तर प्रदेश की भूमि पर स्थित शारदा सागर में लाखों की संख्या में आते हैं। यह पक्षी मार्च के प्रथम सप्ताह तक अपने देश को लौटने लगते हैं। इधर, नेपाल सहित दो प्रदेशों की सीमा के मध्य होने के कारण इन पक्षियों की सुरक्षा भी बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। इन दिनों नेपाल और उत्तर प्रदेश सीमा पर स्थित शारदा सागर बांध में साइबेरियन पक्षियों के शिकारी भी सक्रिय हो जाते हैं। साइबेरियन पक्षियों का शिकार करने के लिए शिकारी ए्ट्रिरन अथवा नुआन के घोल में धान भिगोने के बाद पत्तों पर रख सागर के पानी में पत्ते बहा देते हैं। यह पत्ते हवा से सागर में तैरते रहते हैं जिन्हें चारा समझ पक्षी इस पर रखे धान को खाते हैं और बेहोश हो जाते हैं। बेहोश साइबेरियन पक्षियों को शिकारी बाद में उठा लाते हैं। शिकारी यह चारा शाम के समय में सागर में छोड़ते हैं सुबह अंधेरे में सागर में जाकर बेहोश पड़े पक्षियों को उठा लाते हैं और बिक्री करते हैं। डीएफओ तराई पूर्वी वन प्रभाग डॉ. संदीप कुमार ने बताया कि वन विभाग साइबेरियन पक्षियों की सुरक्षा को लेकर चिंतित है। 15 अक्तूबर से बैगुल, शारदा सागर बांधों में साइबेरियन पक्षियों का आना शुरू हो गया था। डीएम ऊधम सिंह नगर से साइबेरियन पक्षियों की सुरक्षा के लिए मोटर बोट, पेट्रोलिंग राफ्ट खरीदने की अनुमति ली गई है। वन विभाग लगातार सागरों में पेट्रोलिंग कर रहा है। गत वर्ष भी साइबेरियन पक्षियों के शिकारियों को पकड़ा गया था। किसी भी स्थिति में शिकारियों को बख्शा नहीं जाएगा।