हल्द्वानी। अनीता रावत
पिथौरागढ़ की शीतल ने स्वतंत्रता दिवस पर यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एल्ब्रुस पर तिरंगा लहराकर आजादी का जश्न मनाया। एवरेस्ट की चोटी पार करने के बाद शीतल ने समुद्र तल से 5642 मीटर की ऊंचाई वाले यूरोप की चोटी भी फतह कर ली। उन्होंने सीबीटीएस की चार सदस्यीय टीम का नेतृत्व किया। शीतल कुमाऊं मंडल विकास निगम नैनीताल के एडवेंचर विंग में कार्यरत हैं।
माउंट एल्ब्रुस चोटी रूस-जॉर्जिया बॉर्डर पर स्थित है, जिसकी ऊंचाई 5642 मीटर है। यह एक एक सुप्त ज्वालामुखी है, जो कॉकस क्षेत्र की कॉकस पर्वत शृंखला में स्थित है। इसके दो शिखर हैं। पश्चिमी शिखर 5642 मीटर ऊंचा है, जबकि पूर्वी शिखर 5629 मीटर ऊंचा है। क्लाइम्बिंग बियॉन्ड द समिट्स (सीबीटीएस) की चार सदस्यों की टीम को 24 वर्षीय विख्यात युवा महिला पर्वतारोही पिथौरागढ़ की शीतल लीड कर रही थीं। शीतल ने एवरेस्ट, कंचनजंगा और अन्नपूर्णा जैसे दुर्गम पर्वतों को फतह किया है। उनके नाम दुनिया की सबसे कम उम्र की महिला पर्वतारोही होने का रिकॉर्ड है। शीतल ने बताया 15 अगस्त को चोटी पर पहुंचने के उद्देश्य से उनकी टीम ने प्लान बनाया था। मगर अंतिम क्षण में कोविड महामारी के कारण फ्लाइट रद्द से कारण उनकी टीम तीन दिन देरी से मास्को पहुंची और 13 अगस्त को 3600 मीटर की ऊंचाई पर अपना बेस कैंप बनाया। 14 अगस्त की रात को वे चोटी फतह करने निकले। जिसके बाद 15 अगस्त को दिन के एक बजे एल्ब्रुस की चोटी पर तिरंगा लहराया। 48 घंटे के अंदर बेस कैंप से सम्मिट किया, जो बेहद मुश्किल होता है। हालांकि टीम ने एल्ब्रुस जाने से पहले उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र में पर्याप्त ट्रेनिंग की थी। जिससे टीम रिकॉर्ड समय पर सम्मिट कर पायी। एवरेस्ट विजेता और सीबीटीएस के संस्थापक योगेश गर्बियाल ने बताया कि शीतल बहुत ही गरीब परिवार से आती हैं, उसके पिता पिथौरागढ़ में लोकल टैक्सी चलाकर परिवार का पालन पोषण करते हैं। शीतल की पर्वतारोहण की क्षमता और उनकी प्रतिभा को देखकर विभिन्न संस्थाओं ने सहयोग किया, और द हंस फाउंडेशन ने दुनिया की सबसे खतरनाक माने जाने वाली चोटी अन्नपूर्णा के लिए उन्हें स्पॉसर किया।