नई दिल्ली। टीएलआई
क्रूज ड्रग्स बरामदगी मामले में बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान की जमानत पर बुधवार को भी कोई फैसला नहीं हो सका। हाईकोर्ट ने बचाव पक्ष की दलीलें सुनने के बाद सुनवाई गुरुवार तक के लिए टाल दी। गुरुवार को एनसीबी अपनी दलीलें पेश करेगी। आर्यन 8 अक्तूबर से आर्थर रोड जेल में बंद हैं।
आर्यन खान की जमानत याचिका पर न्यायमूर्ति एन डब्ल्यू साम्बरे ने मंगलवार को सुनवाई शुरू की थी। बुधवार को आर्यन खान के वकील मुकुल रोहतगी, मामले में सह आरोपी अरबाज मर्चेंट के वकील अमित देसाई और मुनमुन धमेचा की ओर से पेश अधिवक्ता अली कासिफ खान देशमुख ने अपनी दलीलें पूरी की। मामले पर करीब दो घंटे हुई सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति साम्बरे ने कहा कि वह अतिरिक्त सॉलीसिटर जनरल (एएसजी) अनिल सिंह की दलीलें गुरुवार को सुनेंगे। सिंह एनसीबी का पक्ष रख रहे हैं। न्यायमूर्ति ने कहा, ‘कल हम इसे पूरा करने की कोशिश करेंगे।’
मालूम हो कि मुंबई तट के नजदीक क्रूज पर एनसीबी की छापेमारी के दौरान मादक पदार्थ मिलने के मामले में 3 अक्तूबर को 23 वर्षीय आर्यन खान, मर्चेंट और धमेचा को अन्य के साथ गिरफ्तार किया गया था। एनडीपीएस मामलों की विशेष अदालत द्वारा जमानत अर्जी खारिज किए जाने के बाद पिछले सप्ताह उन्होंने हाईकोर्ट का रुख किया। वहीं बंबई हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक को आर्यन खान से जुड़े मादक पदार्थ मामले में एनसीबी के खिलाफ बोलने से रोकने के लिए दाखिल जनहित याचिका पर बुधवार को तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया। हाईकोर्ट में मंगलवार को कौसर अली ने जनहित याचिका दाखिल की थी।
कौसर अली ने खुद को मौलवी व नशा करने वालों के पुनर्वास के लिए काम करने वाला व्यक्ति बताया है। अली ने हाईकोर्ट से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) नेता मलिक को एनसीबी या आर्यन खान मामले से जुड़ी किसी अन्य जांच एजेंसी व ऐसी एजेंसियों के अधिकारियों के खिलाफ कोई टिप्पणी नहीं करने का निर्देश देने का आग्रह किया है। याचिकाकर्ता का कहना है कि इस तरह की बयानबाजी से जांच एजेंसियों का मनोबल गिरेगा और नशीली दवाओं के उपयोग को बढ़ावा मिलेगा।
याचिकाकर्ता के वकील अशोक सरोगी ने मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति एम एस कार्णिक की पीठ के समक्ष तत्काल सुनवाई का अनुरोध करते हुए जनहित याचिका का उल्लेख किया। हालांकि, हाईकोर्ट ने सरोगी को अगले सप्ताह अवकाशकालीन पीठ से संपर्क करने को कहा। या, 1 नवंबर से शुरू होने वाली दिवाली की छुट्टियों के बाद नियमित अदालतों के फिर से शुरू होने की प्रतीक्षा करने को कहा।