नई दिल्ली। नीलू सिंह
आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद होने वाले लांस नायक नजीर अहमद वानी को शांतिकाल के सर्वोच्च वीरता सम्मान अशोक चक्र (मरणोपरांत) से नवाजा जाएगा। कभी खुद आतंकी रहे अहमद वानी ने पिछले साल नवंबर में शोपियां जिले में आतंकियों से लड़ते हुए अपनी जान गंवा दी थी। मगर इससे पहले उन्होंने और उनकी टीम ने छह आतंकियों को मार डाला था। ड्यूटी के दौरान भी अहमद वानी को दो बार सेना पदक से नवाजा जा चुका है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद गणतंत्र दिवस परेड से पहले राजपथ पर बने सलामी मंच पर लांस नायक वानी की पत्नी को अशोक चक्र प्रदान करेंगे। यह पहला मौका है जब जम्मू कश्मीर के किसी व्यक्ति को अशोक चक्र से सम्मानित किया जायेगा।
अहमद वानी ने शुरुआत में हिंसा का रास्ता अपनाते हुए बंदूक हाथ में उठा ली थी। मगर 90 के दशक में उन्होंने आतंक का रास्ता छोड़ा और इखवान (समर्पण करने के बाद आतंकरोधी अभियान में शामिल होना) बन गए। 2004 में वह कश्मीर की 162 टेरिटोरियल आर्मी में शामिल हो गए।
पिछले साल 23 नवंबर को अहमद वानी और उनकी टीम को शोपियां में छिपे आतंकियों के भागने का रास्ता रोकने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। करीब छह घंटे तक आतंकियों के साथ मुठभेड़ चली। उन्होंने कुल छह आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया, जिनमें से दो को खुद अहमद वानी ने खत्म किया।
दूसरे आतंकी से मुठभेड़ के दौरान लांस नायक अहमद वानी बुरी तरह घायल हो चुके थे, बावजूद इसके उन्होंने हार नहीं मानी। वह उसके साथ बिना हथियार ही भिड़ गए और उसे जान से मार दिया। इस दौरान उन्होंने अपने साथियों की जान भी बचाई। मगर अस्पताल में दो दिन तक संघर्ष करने के बाद 25 नवंबर को वह शहीद हो गए।
कुलगाम जिले के चेकी अश्मुजी गांव में नजीर अहमद वानी के अंतिम संस्कार में पूरा गांव उमड़ा था। सेना की ओर से उन्हें 21 तोपों की सलामी भी दी गई। जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीजीपी दिलबाग सिंह ने कहा है कि बारामूला जिला अब पूरी तरह से आतंकवाद मुक्त हो गया है। उन्होंने कहा, ‘जिले में बुधवार को हुए ऑपरेशन में तीन आतंकियों को मार गिराया गया। इसके साथ ही बारामूला राज्य का पहला आतंकी मुक्त जिला बन गया है। यहां एक भी जीवित आतंकी नहीं है।’