अर्पणा पांडेय
लोकसभा का चुनाव इस बार कई मायने में खास है। रणनीतिक रूप से कहें इस बार प्रत्याशियों का चयन सिर्फ पार्टी के आधार पर नहीं है बल्कि विपक्षी कैंडिडेट को ध्यान में रखकर भी किया जा रहा है। यही कारण है कि भोपाल में कांग्रेस ने जहां 35 सालों का सूखा खत्म करने के लिए मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को उतारा तो वहीं भाजपा ने हिंदुत्व कार्ड खेलते हुए साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर पर दांव खेला है।
मिली जानकारी के अनुसार लोकसभा चुनाव के लिहाज से भोपाल सीट हमेशा से ही अहम रही है। इस बार यहां से कांग्रेस ने अपने कद्दावर नेता दिग्विजय सिंह को मैदान में उतारा है तो वहीं भाजपा ने प्रज्ञा सिंह ठाकुर पर दांव लगाया है। माना जा रहा है कि प्रज्ञा के चुनाव लड़ने से मुकाबला टक्कर का होना वाला है। 2009 में भाजपा के उम्मीदवार कैलाश जोशी करीब 50 हजार वोटों से चुनाव जीते थे। उन्हें 22 फीसदी जबकि कांग्रेस उम्मीदवार सुरेंद्र सिंह ठाकुर को 18 प्रतिशत और इंजीनियर अशोक नारायण सिंह को मात्र एक फीसदी वोट मिला था। जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव में भोपाल सीट पर भाजपा के उम्मीदवार अलोक संजर करीब चार लाख वोटों से चुनाव जीते थे। उन्हें 36 फीसदी वोट मिले थे जबकि कांग्रेस के पीसी शर्मा को 17 फीसदी वोट के साथ दूसरे नंबर पर रहे थे। भोपाल सीट पर आखिरी बार कांग्रेस के केएन प्रधान 1984 में लोकसभा चुनाव जीते थे। जिसके बाद से अब तक कांग्रेस का कोई भी उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत पाया है।