हल्द्वानी। अनीता रावत
हाईकोर्ट ने जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में अवैध रूप से किए जा रहे निर्माण कार्यों, सड़कों और पुलों के निर्माण के संबंध में मीडिया में चल रही खबरों का स्वत: संज्ञान लेकर याचिका के रूप में इसकी सुनवाई की। कोर्ट ने मामले को सुनने के बाद राज्य व केंद्र सरकार से आठ नवंबर तक जवाब पेश करने को कहा है। राज्य सरकार को यह भी बताने को कहा है कि पार्क में कौन-कौन से स्थानों पर अवैध निर्माण किया गया है। सुनवाई मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति एनएस धनिक की खंडपीठ में हुई।
दिल्ली हाईकोर्ट के अधिवक्ता गौरव कुमार बंसल ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि कॉर्बेट नेशनल पार्क के मोरघट्टी व पोखरो फॉरेस्ट रेस्ट हाउस के आसपास अवैध निर्माण कार्य किए जा रहे हैं। उन्हें हटाने की अपील की गई थी। यह भी कहा था कि इन निर्माण कार्यों को बंद करने से बाघ समेत अन्य जंगली जानवरों को बचाया जा सकेगा। दिल्ली हाईकोर्ट ने एनटीसीए को निर्देश दिए थे कि वे याचिकाकर्ता के प्रत्यावेदन को निस्तारित करें। एनटीसीए ने कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए अवैध निर्माण कार्यों की जांच के लिए एक कमेटी गठित की। कमेटी ने जांच में पाया कि नेशनल पार्क के मोरघट्टी व एफआरएच परिसर के कई क्षेत्रों में अवैध निर्माण कार्य चल रहे हैं। जिनमें होटल, भवन, पुल व सड़क आदि शामिल हैं। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में चीफ वाइल्ड लाइफ वॉर्डन को निर्देश दिए कि इन क्षेत्रों से शीघ्र अवैध निर्माणों को हटाया जाए। जिन अधिकारियों की अनुमति से ये निर्माण कार्य किए गए हैं उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख भी किया है कि वन विभाग के अधिकारियों ने वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972, इंडियन फॉरेस्ट एक्ट 1927 व फॉरेस्ट कंजर्वेशन एक्ट 1980 का उल्लंघन किया है। 12 अगस्त 2021 को चीफ वाइल्ड लाइफ वॉर्डन को पत्र भेजकर मामले की जांच के निर्देश दिए गए थे, परन्तु उनके इस पत्र पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। कोई कार्रवाई नहीं होने पर एनटीसीए ने जांच के लिए 24 अक्तूबर 2021 को कमेटी यहां भेजी। कोर्ट ने मीडिया में चल रही खबरों का स्वत: सज्ञान लेकर केंद्र सरकार, मुख्य सचिव उत्तराखंड, वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार, उत्तराखंड वाइल्ड लाइफ एडवाजरी बोर्ड, पीसीसीएफ, वाइल्ड लाइफ वॉर्डन और संबंधित क्षेत्र के डीएफओ को पक्षकार बनाया है।