देहरादून। दुनिया के जाने माने अंग्रेजी लेखक एवं पर्वतारोही बिल एटकिन का बुधवार रात को निधन हो गया। वह 91 वर्ष के थे। भारतीय पहाड़ों, नदियों और रेलमार्गों पर अपने लेखन के लिए प्रख्यात बिल एटकिन स्कॉटिश मूल के यात्रा लेखक थे और मसूरी में रहते थे। बिल एटकिन के निधन से साहित्य जगत में शोक की लहर है। गुरुवार को हरिद्वार में हिंदू रीति-रिवाज के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया।
मसूरी निवासी अंग्रेजी लेखक गणेश सैली ने बताया कि कुछ दिन पहले मसूरी स्थित अपने घर में गिरने के बाद उन्हें इलाज के लिए देहरादून के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन उनकी हालत में ज्यादा सुधार नहीं हुआ। 1934 में स्कॉटलैंड में जन्मे एटकिन ने 1959 में भारत आ गए और 1966 के आसपास उन्होंने यहां की नागरिकता ले ली। वह मसूरी के बाला हिसार में रहते थे। बिल एटकिन को पद्मश्री रस्किन बांड के समकक्ष लेखक के तौर पर माना जाता है। बिल एटकिन मां नंदा देवी को मानते थे। उनकी हिंदी और गढ़वाली बोली पर भी अच्छी पकड़ थी। उन्हें भारतीय रेलवे को लेकर गहरी दिलचस्पी थी। वे नई दिल्ली में फ्रेंड्स ऑफ द नेशनल रेल म्यूजियम के अध्यक्ष थे। उन्होंने अपनी यात्रा पुस्तकों में भारत के धार्मिक और प्राकृतिक परिदृश्यों का पता लगाया। यहां के लोगों और उनकी मान्यताओं के बारे में गहराई से लिखा। एटकिन की सबसे प्रसिद्ध कृतियों में से एक सेवन सेक्रेड रिवर्स भारत की सात पवित्र नदियों के किनारे 30 साल तक चली एटकिन तीर्थयात्रा का दस्तावेज है। सेवन सेक्रेड रिवर्स की अगली कड़ी द नंदा देवी अफेयर में ऐटकेन ने कुमाऊं और गढ़वाल की संरक्षक देवी नंदा देवी के प्रति अपने गहरे लगाव के बारे में बात की है। इसके अलावा उनकी फुटलूज इन द हिमालया, द नंदा देवी अफेयर, एक्सप्लोरिंग इंडियन रेलवेज, जांस्कर, 1000 हिमालयन क्विज जैसी कई महत्वपूर्ण कृतियां हैं। पारिवारिक सदस्य कुशाल सिंह चौहान ने बताया कि बिल एटकिन की हिंदू धर्म में गहरी आस्था थी। 2011 में उन्होंने इच्छा जताई थी कि उनका अंतिम संस्कार हिंदू रीति रिवाज से किया जाए, जिसे देखते हुए गुरुवार को हरिद्वार में हिंदू रीति रिवाज से उनका अंतिम संस्कार किया गया। बिल एटकिन सुबह उठकर चाय पीते और कंप्यूटर पर बैठकर अपना काम करते थे। मंदिरों में जाना, दक्षिणा देना उन्हें बहुत भाता था। मशहूर लेखक रस्किन बॉण्ड ने भी बिल एटकिन के निधन पर गहरा दुख जताया है। उन्होंने संदेश जारी कर कहा कि हिमालय में अलग-अलग जगह अपने भ्रमण का जीवंत वर्णन करने में बिल का कोई जवाब नहीं था। वह एक अच्छे पर्वतारोही भी थे। वह सच्चे पहाड़ प्रेमी थे, उन्हें पहाड़ की चुनौतियों में मजा आता था। बिल मुझे लारेंस ऑफ अरेबिया की याद दिलाते थे।
