इस्लामाबाद। ईसाई महिला आसिया बीबी को बरी करने के मामले में दायर पुनर्विचार याचिका को पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को खारिज कर दिया।
मंगलवार को सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने पूछा कि यह कैसे धर्म का मामला है। क्या यह फैसला गुण-दोष के आधार पर नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा कि फैसला साक्ष्य और गवाही के आधार पर दिया गया है। क्या इस्लाम यह कहता है कि दोषी नहीं पाए जाने के बाद भी सजा दी जाए। मुख्य न्यायाधीश खोसा ने कहा कि साबित करें कि इस फैसले के साथ गलत क्या है। उन्होंने यह कहते हुए पुनर्विचार याचिका खारिज कर दिया कि याचिकाकर्ता 47 वर्षीय महिला को बरी करने के शीर्ष न्यायालय के फैसले में किसी भी तरह की गलती को बताने में असमर्थ हैं। फैसले के बाद इस्लामाबाद में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। गौरतलब है कि शीर्ष अदालत यहीं स्थित है। गौरतलब है कि पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल अक्तूबर में ईशनिंदा मामले में आसिया बीबी को बरी कर दिया था। इसके बाद देश में व्यापक प्रदर्शन किए गए और कट्टरपंथी संगठनों ने जान से मारने की धमकी भी दी। मुख्य न्यायाधीश आसिफ सईद खोसा के नेतृत्व में तीन सदस्यीय पीठ ने शिकायतकर्ता कारी मोहम्मद सलाम की ओर से दायर पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी। सुनवाई के दौरान सलाम के वकील ने कहा कि आसिया को रिहा करने का मुद्दा मुस्लिम उलेमाओं और धार्मिक विद्वानों की चिंता का विषय है और उन्हें यहां अपने विचार प्रकट करने के लिए बुलाया जाना चाहिए।