नई दिल्ली। नीलू सिंह
उच्चतम न्यायालय ने एल्गार परिषद – भीमा कोरेगांव हिंसा में कथित भूमिका और माओवादियों से कथित संबंधों के मामले में सामाजिक कार्यकर्ता आनंद तेलतुम्बड़े के खिलाफ दर्ज पुणे पुलिस की प्राथमिकी रद्द करने से सोमवार को इनकार कर दिया।
उच्चतम न्यायालय ने मामले में जारी जांच में हस्तक्षेप करने से भी इनकार कर दिया। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एसके कौल ने बंबई उच्च न्यायालय द्वारा तेलतुम्बड़े को दी गई गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा की अवधि चार सप्ताह और बढ़ा दी। शीर्ष अदालत ने कहा कि तेलतुम्बड़े सक्षम निचली अदालत से इस मामले में नियमित जमानत की अपील कर सकते हैं।
बम्बई उच्च न्यायालय से तेलतुम्बड़े की याचिका 21 दिसंबर को खारिज कर दी थी। उन्होंने अपने खिलाफ दायर पुणे पुलिस की प्राथमिकी रद्द करने और तीन सप्ताह के लिए गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा देने की मांग की थी।
पुलिस के अनुसार कोरेगांव भीमा में एक जनवरी 2018 को हुई हिंसा से एक दिन पहले पुणे में एल्गार परिषद समारोह में कई कार्यकर्ताओं ने कथित रूप से भड़काऊ भाषण दिए थे, जिसके कारण हिंसा भड़की।