नॉर्वे। आर्कटिक में रहने वाले ध्रुवीय भालू खतरे में हैं। तेजी से बर्फ पिघलने के कारण न सिर्फ उनके पंजे जख्मी हो रहे हैं बल्कि भालुओं के बाल भी झड़ रहे हैं।
जलवायु परिवर्तन से ध्रुवीय बर्फ पिघल रही है और बिना बर्फ के मौसम लंबे हो रहे है। इससे इलाके में रहने वाले ध्रुवीय भालुओं के लिए जीवन मुश्किल हो गया है। ये चोटिल हो रहे हैं और इनके सामने खाने का संकट भी है। आर्कटिक में तेजी से पिघल रहे बर्फ के कारण ध्रुवीय भालुओं को जख्मी देखा गया है। ऐसा पहली बार हुआ है कि सफेद जीव को चोट चपेट आई हो। जर्नल इकोलॉजी में प्रकाशित वाशिंगटन यूनिवर्सिटी में हुए एक अध्ययन में यह खुलासा हुआ है। वैज्ञानिक कह चुके हैं कि जलवायु परिवर्तन के कारण दुनिया में बचे मात्र 25 हजार ध्रुवीय भालू खतरे में हैं। हालांकि ध्रुवीय इलाकों में बदलते हालात के साथ ये भालू अपने खान-पान के तरीके में बदलाव करने की भी कोशिश कर रहे हैं लेकिन लंबी होती गर्मियां और घटती बर्फ उनके लिए जीवन को लगातार मुश्किल बना रही है। आर्कटिक क्षेत्र के दो भालुओं की शोधकर्ताओं ने निगरानी की। ये दोनों ही जलवायु परिवर्तन के कारण तेजी से पिघल रहे बर्फ के कारण चोटिल हो गए थे। इनके पंजों में चोट लगी थी, जिससे ये सही से चल नहीं पा रहे थे। इनके शरीर पर होने वाले सफेद बाल झड़ गए थे जो तापमान में बदलाव के कारण हुआ। हमेशा ठंडे बर्फ में रहने वाले इन सफेद जीवों पर गर्मी का ऐसा असर हुआ की त्वचा पर छाले तक दिखे। कनाडा और ग्रीनलैंड के बीच के इलाके केन बेसिन में रहने वाले ध्रुवीय भालुओं में भी इस तरह के चोट देखे गए। ध्रुवीय भालुओं का मुख्य भोजन सील होते हैं। उनका यह भोजन आर्कटिक सागर में मिलता है। बर्फ जमने से सर्दियों में ये सतह पर आ जाते हैं। समुद्र की सतह पर जमी बर्फ पर चलकर अपना आहार लेते हैं और मौसम बदलते ही ये शीतनिद्रा में चले जाते हैं ताकि अपनी ऊर्जा को बचाकर रख सकें।