इंफाल। मणिपुर में जारी अशांति के बीच कॉनराड संगमा के नेतृत्व वाली नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) ने रविवार को भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार से समर्थन वापस ले लिया। पार्टी ने राज्य में जारी जातीय हिंसा और बिगड़ती कानून व्यवस्था की स्थिति से निपटने में असंतोष का हवाला दिया है। एनपीपी ने भाजपा प्रमुख जेपी नड्डा को पत्र में कहा कि राज्य में एन बीरेन सिंह सरकार संकट को हल करने और सामान्य स्थिति बहाल करने में पूरी तरह से विफल रही है। बता दें, 60 सदस्यीय मणिपुर विधानसभा में एनपीपी के 7 विधायक हैं। एनपीपी ने पत्र में लिखा, पिछले कुछ दिनों में मणिपुर में स्थिति और खराब हो गई है। हिंसा में कई निर्दोष लोगों की जान चली गई है और राज्य में लोग अत्यधिक पीड़ा से गुजर रहे हैं। मौजूदा स्थिति को ध्यान में रखते हुए नेशनल पीपुल्स पार्टी ने तत्काल प्रभाव से मणिपुर राज्य में बीरेन सिंह सरकार से अपना समर्थन वापस लेने का फैसला किया है। पूर्वोत्तर राज्य में एक प्रमुख सहयोगी खोने के बावजूद भाजपा सरकार को खतरा नहीं है। दरअसल, 60 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा ने 32 सीटों पर जीत हासिल की थी, जो बहुमत के आधे आंकड़े 31 से अधिक हैं। वहीं बाद में जनता दल (यूनाइटेड) के पांच विधायक भी पार्टी में शामिल हो गए थे, जिससे उसके कुल विधायकों की संख्या 37 है। साथ ही भाजपा को नागा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के पांच, जेडीयू के एक और तीन निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन प्राप्त है। ऐसे में एनपीपी के समर्थन वापसी से सरकार अस्थिर नहीं होगी।
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