नई दिल्ली । परीक्षा में खराब प्रदर्शन करने वाले बच्चे पांचवीं में भी फेल हो सकते हैं। पहले बच्चों को फेल करने पर रोक लगा दी गई थी। गुरुवार को राज्य सरकारों को पांचवीं और आठवीं कक्षा में परीक्षा आयोजित कराने का अधिकार देने वाला ‘नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार (दूसरा संशोधन) विधेयक- 2017’ गुरुवार को राज्यसभा से पारित हो गया।
संशोधित विधयेक में कक्षा में अनुत्तीर्ण होने की स्थिति में बच्चों को कक्षा में रोकने या नहीं रोकने का अधिकार राज्यों को दिया गया है। जो राज्य परीक्षा लेना चाहते हैं, वे खराब प्रदर्शन पर बच्चों को पांचवीं और आठवीं में फेल कर सकेंगे। हालांकि उन्हें फेल हुए बच्चों के लिए मई महीने में दोबारा परीक्षा आयोजित करनी होगी। अगर बच्चे इस परीक्षा में भी पास नहीं होते हैं तो उन्हें फेल घोषित कर दिया जाएगा। गौरतलब है कि ‘नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार (दूसरा संशोधन) विधेयक- 2017’ लोकसभा से बीते मानसून सत्र में पारित हो चुका था। अब इसे राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। विधेयक के मुताबिक, फेल हुए बच्चे को स्कूल से निकाला नहीं जा सकता। आठवीं तक फेल न करने की नीति से आठवीं तक बच्चे और शिक्षक पढ़ाई पर अधिक ध्यान नहीं दे रहे थे। इसके चलते ज्यादातर राज्यों में दसवीं के नतीजे खराब हो रहे थे। पिछले साल हुई केंद्रीय शिक्षा परामर्श बोर्ड (केब) की बैठक में तमिलनाडु, केरल और तेलंगाना के अलावा सभी राज्यों ने इस नीति में बदलाव करने की मांग केंद्र से की थी।