नई दिल्ली। टीएलआई
गांधी मैदान में भाजपा की हुंकार रैली में सीरियल बम ब्लास्ट करने वाले नौ आरोपितों को बुधवार को पटना एनआईए कोर्ट ने दोषी करार दिया। वहीं, एक आरोपित फखरुउद्दीन को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। एनआईए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश गुरुविंदर सिंह मल्होत्रा ने यह फैसला सुनाया। उन्होंने दोषी नौ आरोपितों की सजा के बिंदु पर सुनवाई करने के लिए अगली तिथि एक नवंबर निर्धारित की है।
गांधी मैदान और पटना जंक्शन पर सीरियल बम ब्लास्ट 27 अक्टूबर 2013 को हुआ था। इस घटना में छह लोगों की मौत हुई थी और 89 लोग घायल हुए थे। आठ साल बाद इस मामले में फैसला आया है। एनआईए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश गुरुविंदर सिंह मल्होत्रा ने ठीक 12 बज कर 10 मिनट पर कोर्ट की कार्यवाही शुरू की। इसके बाद सभी आरोपितों को कोर्ट में पेश किया गया। दोनों पक्षों को वकील और एनआईए की महिला एसपी भी कोर्ट में फैसला सुनने के लिए मौजूद रहे।
वर्ष 2013 में इन आरोपितों ने हुंकार रैली के दौरान वर्तमान पीएम नरेंद्र मोदी की सभा में विस्फोट किया था। तब मोदी भाजपा की तरफ से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार घोषित किए गए थे। मोदी के भाषण के दौरान ही विस्फोट हुआ था। इन आतंकियों के निशाने पर मोदी ही थे। पटना जंक्शन पर मानव बम बनकर निकलने वाले आतंकी की मंशा मोदी के काफिले से टकराने की थी। हालांकि, शौचालय में छिपकर मानव बम बनते समय ही विस्फोट में उसकी मौत हो गई थी। एक आतंकी पकड़ा गया था। एनआईए ने पाया कि सभी आरोपित इंडियन मुजाहिदीन के सक्रिय जिहादी सदस्य हैं। विशेष न्यायाधीश ने सबसे पहले इम्तियाज अंसारी का नाम पुकारा और उसे आपराधिक षड्यंत्र, हत्या, देशद्रोह, विस्फोटक अधिनियम यूएपीए की धारा और रेलवे एक्ट के तहत दोषी करार दिया। इसके बाद मास्टर माइंड हैदर अली उर्फ ब्लैक ब्यूटी, नोमान अंसारी और मुजीबुल्लाह अंसारी और उमर सिद्दिकी, अजहरुद्दीन को भी आपराधिक साजिश, हत्या, हत्या का प्रयास, देशद्रोह, विस्फोटक अधिनियम, यूएपीए की विभिन्न धाराओं के तहत दाषी करार दिया है। उसके बाद अहमद हुसैन को विस्फोटक अधिनियम, फिरोज को यूएपीए की धारा और इफ्तेखार आलम को भारतीय दंड संहिता की धारा 201 के तहत दोषी करार दिया है। ब्लास्ट मामले में जुवेनाइल बोर्ड द्वारा एक आरोपित को तीन वर्ष की कैद की सजा पहले ही सुनायी जा चुकी है।