नई दिल्ली। अर्पणा पांडेय
नाक के जरिए दिए जाने वाला टीका कोरोना संक्रमण से बचाव करने में ज्यादा कारगर है। यह दवा वैज्ञानिकों की टीम ने की है। वैज्ञानिकों का कहना है कि नाक से लगाया जाने वाला कोविड-19 टीके का पशुओं परप्री-क्लीनिकल ट्रायल किया गया। इस ट्रायल में बीमारी के प्रभाव और वायरस के संक्रमण दोनों को कम करने में वह सक्षम पाया गया है। ब्रिटेन के लैंकास्टर विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं ने चूहों को इस टीके की दो खुराकें दी। इसके बाद उन्होंने सार्स-कोव-2 वायरस की चपेट में आने पर चूहों को फेफड़ों के संक्रमण, सूजन और घावों से पूरी तरह सुरक्षित पाया।
अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि इस दौरान पता चला कि टीके की दोनों खुराकों ने चूहों में संक्रमण को काफी तेजी के साथ कम कर दिया। इससे पता चलता है कि टीका संक्रमण को कम करने की क्षमता रखता है। उन्होंने कहा कि इससे बीमारी के प्रभाव और वायरस के संक्रमण दोनों को कम किया जा सकता है।
लैंकास्टर विश्वविद्यालय में अध्ययन का नेतृत्व करने वाले मोहम्मद मुनीर ने कहा कि हमारे अध्ययन से पता चलता है कि यह टीका न केवल सार्स-कोव-2 प्रभाव को कम करने में मदद करता है बल्कि इससे एक संक्रमित व्यक्ति से किसी असंक्रमित व्यक्ति में संक्रमण को पहुंचने से भी रोका जा सकता है। टीका न्यूकैसल डिजीज वायरस (एनडीवी) नामक एक सामान्य पोल्ट्री वायरस पर आधारित है, जो मनुष्यों में पनप तो सकता है लेकिन यह हानिरहित है।
मुनीर ने कहा कि जब हमने चूहों की नाक में टीका लगाया और फिर उन्हें सार्स-कोव-2 से संक्रमित किया, तो हमें इन जानवरों के फेफड़ों और नाक में लगभग कोई वायरस नहीं मिला