लखनऊ। राजेंद्र तिवारी
महंत नरेंद्र गिरि की मौत के रहस्य में सबसे अहम कमरे में मिला उनका सुसाइड नोट है। इसके हस्ताक्षर, राइटिंग, कई जगह कटिंग, तारीखों में बदलाव को लेकर तमाम सवाल खड़े होते रहे हैं। हालांकि प्रथम दृष्टया जांच में इतना साफ हुआ है कि सुसाइड नोट पर जो हस्ताक्षर हैं वह नरेंद्र गिरि के ही हैं। पुलिस ने सबसे तेजी से इसी की जांच की थी। पुलिस ने सीबीआई को यही बताया भी है। नरेंद्र गिरि के बैंक खातों, पैन कार्ड, मठ के दस्तावेजों, बैनामों समेत अन्य कागजों से हस्ताक्षर का मिलान किया गया। इससे लगभग साबित हो गया कि सुसाइड नोट पर जो हस्ताक्षर हैं वह नरेंद्र गिरि के ही हैं। हालांकि सुसाइड नोट जांच के लिए फोरेंसिंक लैब भेजा गया है। हस्ताक्षर के अलावा सुसाइड नोट की हैंड राइटिंग की रिपोर्ट अभी साफ नहीं है। हस्ताक्षर और कई पेजों की लिखावट में थोड़ा फर्क पाया गया है। अब सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या महंत ने सुसाइड नोट किसी और से लिखवाया और हस्ताक्षर खुद किए।
बाघंबरी मठ में नरेंद्र गिरि की मौत के बाद 12 पेज का सुसाइड नोट मिला था। इसमें कई पेजों पर 13 सितंबर की तारीख थी तो कुछ पर 20 सितंबर। तारीखों को काटा भी गया था। हर पेज पर नरेंद्र गिरि के हस्ताक्षर हैं। सभी पेजों पर किए गए हस्ताक्षरों का मिलान हुआ तो वह एक जैसे ही पाए गए। इसके बाद तमाम दस्तावेजों से हस्ताक्षर का मिलान किया गया तो सभी मिलते-जुलते निकले। मठ के तमाम करीबियों ने भी हस्ताक्षर पहचाने। अब जो रिपोर्ट तैयार हुई है, उससे साफ है कि हस्ताक्षर नरेंद्र गिरि के ही हैं। अलबत्ता इतने पेजों पर लंबी लिखावट कुछ संशय पैदा कर रही है। सीबीआई अधिकारियों ने भी हस्ताक्षर का बरीकी से मिलान कर यही निर्णय निकाला है। अब रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है।