बीजिंग।
चीन के एक अधिकारी ने बुधवार को कहा कि ताइवान के नजदीक सैन्य अभ्यासों और जंगी विमान मिशन राष्ट्र की स्वायत्तता एवं क्षेत्र की रक्षा के लिए जरूरी थे। चीन की सेना ने इस महीने की शुरुआत में एक दिन में 56 विमानों को ताइवान के दक्षिण पश्चिम अपतटीय क्षेत्र में भेजा था। ये सभी विमान अंतरराष्ट्रीय हवाई क्षेत्र में थे, लेकिन इसने इन आशंकाओं को पैदा किया कि कोई भी गलत कदम क्षेत्र में तनाव भड़का सकता है। ताइवान का मानना है कि चीन के ये कदम राष्ट्र को सैन्य ताकत के दम पर नियंत्रण करने के खतरे को दर्शाता है जिसपर चीन दावा करता है। चीन और ताइवान 1949 में गृह युद्ध के दौरान अलग हो गए थे और उनका आपस में कोई संपर्क नहीं है। कैबिनेट के ताइवान मामलों के कार्यालय प्रवक्ता मा शिओगुआंग ने बताया कि युद्धाभ्यासों का मकसद मूलरूप से चीनी राष्ट्र के हितों की रक्षा के साथ-साथ ताइवान जलडमरूमध्य के दोनों ओर के लोगों के अहम हितों की सुरक्षा करना है। उन्होंने कहा कि जनमुक्ति सेना के अभ्यास राष्ट्र की स्वायत्तता एवं क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए जरूरी कार्रवाई हैं। शिओगुआंग ने तनाव बढ़ने के लिए ताइवान की स्वतंत्रता के प्रति झुकाव रखने वाली सरकार और बाहरी ताकतों से उसके संबंधों को जिम्मेदार ठहराया है। ताइवान अमेरिका का करीबी सहयोगी है। ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन ने बीजिंग के साथ हफ्ते भर के अप्रत्याशित तानव के बाद रविवार को द्वीप की चीन के बढ़ते दबाव से रक्षा करने का संकल्प लिया। पिछले शनिवार को चीनी राष्ट्रपति ने कहा था कि ताइवान के एकीकरण को साकार किया जाना चाहिए और उसके लिए सर्वश्रेष्ठ माध्यम शांतिपूर्ण तरीका है। इसके बाद वेन ने रविवार को उक्त बयान दिया था।