व्यक्ति का लोकेशन बताएंगे उसके शरीर के सूक्ष्मजीव

अंतरराष्ट्रीय

स्टॉकहोम। वैज्ञानिकों ने एक नया दवा कर सबको चौंका दिया है। दावा है कि व्यक्ति के शरीर पर मौजूद सूक्ष्मजीव अब उनके लोकेशन बताएंगे।इसके लिए एक एआई टूल विकसित किया गया है। इस टूल ने 92 प्रतिशत शहरी नमूनों के लिए सही शहर को पहचानने में सफलता पाई।
किसी व्यक्ति की लोकेशन जानने के लिए अब जीपीएस की जरूरत नहीं रहेगी। वातावरण के हिसाब से शरीर पर मौजूद रहने वाले सूक्ष्मजीव (जैसे बैक्टीरिया, कवक) जीपीएस की भूमिका निभाएंगे। वैज्ञानिकों ने इसके लिए एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) टूल विकसित किया है। यह सूक्ष्मजीवों के नमूनों का उपयोग कर लोकेशन की जानकारी दे सकता है। जीनोम बायोलॉजी एंड इवोल्यूशन में प्रकाशित एक अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है। स्वीडन की लुंड यूनिवर्सिटी के शोधार्थियों ने पाया, शरीर पर सूक्ष्मजीव वातावरण और जगह के अनुसार बदलते रहते हैं। एआई टूल से पता लग सकता है कि ये सूक्ष्मजीव किस प्रकार की भौगोलिक स्थिति में पाए जाते हैं। इस तरह पता चल जाएगा कि कोई व्यक्ति किस जगह पर है। यह बता सकता है कि व्यक्ति समुद्र तट पर है, पास के रेलवे स्टेशन पर या होटल-पार्क में टहल रहा है। यह किसी व्यक्ति के हाल के लोकेशन का पता लगाने में मदद करता है। हालांकि, इसका इस्तेमाल करने के लिए विशेष प्रकार के गैजेट की जरूरत होगी। वैज्ञानिकों ने कहा है कि भविष्य में इसका इस्तेमाल मोबाइल से भी संभव हो सकेगा। मोबाइल स्क्रीन में बदलाव किया जाएगा। स्क्रीन उंगली पर मौजूद सूक्ष्मजीवों की पहचान करने में सक्षम हो सकेगी। शोधकर्ताओं ने एक नई तकनीक विकसित की है, जिसे माइक्रोबायोम-जियोग्राफिकल पॉपुलेशन स्ट्रक्चर (एम-जीपीएस) कहा जाता है। यह तकनीक किसी क्षेत्र के सूक्ष्मजीवों की पहचान करके उस स्थान का विश्लेषण करती है। यह पारंपरिक जीपीएस सिस्टम से अलग है। माइक्रोबायोम का अर्थ समुद्र तट या पार्क जैसे क्षेत्र में मौजूद सभी सूक्ष्मजीवों से है। इस तकनीक का विकास इन्हीं सूक्ष्मजीवों पर आधारित है। प्रमुख शोधकर्ता एरन एल्हाइक ने बताया, सूक्ष्मजीव समय-समय पर बदलते रहते हैं। खासकर जब हम अलग-अलग स्थानों पर जाते हैं। उन्होंने कहा, यह तकनीक हमें यह समझने में मदद कर सकती है कि सूक्ष्मजीव हाल ही में कहां थे, जिससे हम बीमारी के फैलाव, संक्रमण के स्रोत और सूक्ष्मजीव प्रतिरोध के विकास का पता लगा सकते हैं। इसके अलावा, तकनीक आपराधिक जांच में भी मदद कर सकती है। शोधकर्ताओं ने एआई टूल को प्रशिक्षित करने के लिए विभिन्न स्थानों से माइक्रोबायोम डाटा का उपयोग किया। 53 शहरों से सबवे और शहरी वातावरण के नमूने, 18 देशों से 237 मिट्टी के नमूने और नौ जल निकायों से 131 समुद्री नमूने लिए गए। शोधकर्ताओं ने कहा कि उन्होंने इन नमूनों के विश्लेषण के बाद एक एआई मॉडल तैयार किया, जो माइक्रोबायोम नमूनों की मूल लोकेशन को सटीक रूप से पहचानने में सक्षम है।

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