मुंबई। अभिनेत्री कंगना रनौत ने कहा है कि उन्हें फिल्म सेट पर अभिनेताओं से कई बार उत्पीड़न का सामना करना पड़ा। लेकिन उन्होंने ‘मी टू’अभियान के तहत आवाज नहीं उठाई क्योंकि ये अनुभव शारीरिक नहीं थे, पर भयभीत करने वाले और अपमानजनक थे।
उन्होंने कहा कि उत्पीड़न किसी भी स्तर पर हो सकता है और उन्होंने अपने करियर में कई लोगों के बुरे व्यवहार का सामना किया है। ‘मणिकर्णिका’ की 31 साल की अभिनेत्री कंगना ने से कहा, उत्पीड़न कई स्तरों पर हुआ करता है। कई बार सेट पर ऐसा हुआ, हालांकि मुझे शारीरिक तौर पर तो प्रताड़ित नहीं किया गया, लेकिन कुछ लोगों के अहम से जुड़े मुद्दे थे। कई अन्य मोर्चों पर मुझे प्रताड़ित किया गया। यह ‘मी टू’ अभियान के तहत नहीं आता, लेकिन फिर यह उत्पीड़न ही है।
अपने अनुभवों को साझा करते हुए उन्होंने कहा, मुझे सेट पर छह घंटे तक इंतजार कराया जाता, मुझे जानबूझकर गलत समय दिया जाता ताकि मुझे इंतजार करना पड़े, मुझे हमेशा गलत तारीखें बताई जाती ताकि मेरे हाथ से मौका निकल जाए और फिर ये अभिनेता लोग अंतिम समय पर शूटिंग रद्द कर देते थे।
फिल्म ‘क्वीन’ की अदाकारा ने कहा, मेरे खिलाफ गुटबाजी करना और मुझे फिल्म से जुड़ कार्यक्रमों में ना बुलाना, मेरे बिना फिल्म का ट्रेलर लॉन्च कर देना और फिर मुझे बताए बिना मेरी आवाज मेरी अनुमति के बगैर किसी और से डब करा देना, जो किसी भी अदाकार के मूलभूत अधिकार का उल्लंघन है।
जो डरे हुए हैं उन्हें और डरना चाहिए
अदाकारा ने कहा कि पिछले साल चले ‘मी टू’ अभियान के कारण फिल्म जगत के पुरुष डरे हुए हैं। लोग डरे हुए हैं और उन्हें डरना भी चाहिए। फिल्म जगत में पुरुष डरे हुए हैं। यह रुकने वाला नहीं है। यह तब तक नहीं रुकेगा जब तक हम इसके मूल वजह तक नहीं जाते क्योंकि यह एक पितृसत्तात्मक समाज है, जो बहुत ही अराजक है।
उन्होंने कहा, हमें वहां चोट करने की जरूरत हैं जहां वे डरे हुए हैं। क्या होगा जब महिलाओं को काम नहीं मिलेगा, जैसी बातें बंद होनी चाहिए। मुझे लगता है कि गरिमा के बिना कोई जीवन नहीं है। आपको आवाज उठाने से नहीं हिचकना चाहिए।