मुंबई। चिट्ठी आई है… और जिएं तो जिएं… हर भारतीय के दिल में जगह बनाने वाले गजल गायक पद्मश्री पंकज उधास का निधन हो गया। वह 72 वर्ष के थे। पंकज लंबे समय से बीमार चल रहे थे।
पंकज उधास की बेटी नयाब ने बताया कि पिता पद्मश्री पंकज उधास की लंबी बीमारी से निधन हो गया। उन्होंने ब्रीच कैंडी अस्पताल में सोमवार सुबह करीब 11 बजे अंतिम सांस ली। पंकज उधास का अंतिम संस्कार मंगलवार को होगा।
अपनी गजल गायिकी से लोगों को दीवाना बना देने वाले पंकज उधास सोमवार को दुनिया से रुख्सत हो गए हों, पर उनकी पुरखुलूस आवाज संगीत की दुनिया में गूंजती रहेगी। 90 के दशक में पंकज उधास की गजल गायिकी इस कदर लोकप्रिय हुई कि ऑटो रिक्शा से लेकर पान की दुकानों तक गजलें सुनी जाने लगीं। पंकज उधास गजल गायिकी को अमीरों की महफिलों से आजाद कर सड़क तक ले गए। पंकज उधास ने ‘चिट्ठी आई है’ गाया तो परदेस में रहने वालों को स्वदेश की याद में रुला दिया। ‘चांदी जैसा रंग है तेरा’ गुनगुनाया तो गली-गली के आशिकों की आवाज बन गए। बचपन में डॉक्टर बनने का सपना बुनने वाले पंकज उधास का गायकी में ऐसा मन लगा कि उन्होंने गजल को नया आयाम दे डाला। पर अब उनकी आवाज हमेशा के लिए शांत हो गई है। मुंबई में उनका निधन हो गया है। पीछे रह गए तो उनके वो गीत जो हमेशा अमर थे और रहेंगे। पंकज उधास का जन्म 17 मई 1951 को गुजरात के राजकोट के निकट जेटपुर में जमींदार गुजराती परिवार में हुआ। उनकी बचपन की महत्वाकांक्षा गायन में नहीं बल्कि चिकित्सा में करियर बनाने की थी। उन्होंने इसके लिए पूरी शिद्दत से तैयारी की पर आखिरकार उन्होंने खुद को संगीत की राह पर पाया और डॉक्टर बनने का अपना सपना अधूरा छोड़ दिया। इसके बावजूद, उनकी चिकित्सा में गहरी रुचि बनी रही और उन्हें इस क्षेत्र में नवीनतम प्रगति के बारे में अच्छी जानकारी थी। यहां तक कि वह खुद को मजाकिया अंदाज में ‘स्वघोषित 80 फीसदी डॉक्टर’ भी कहते थे। घर में संगीत के माहौल से पंकाज उधास सात वर्ष की उम्र से ही गाना गाने लगे। उनके बड़े भाई मनहर उधास ने उनकी प्रतिभा को पहचान लिया और उन्हें इस राह पर चलने के लिए प्रेरित किया। पंकज उधास के भाई मनहर उधास भी जाने-माने गायक हैं। उन्होंने शांत झरोखे, काजल भरे नयन जैसे गीत गाए। गुजराती में गीत लिखने के लिए वह जाने गए हैं। एक बार पकंज उधास को एक संगीत कार्यक्रम में हिस्सा लेने का मौका मिला, जहां उन्होंने ‘ए मेरे वतन के लोगों जरा आंख में भर लो पानी गीत गाया’। इस गीत को सुनकर श्रोता भाव विभोर हो उठे। उनमें से एक ने पंकज उधास को खुश होकर 51 रूपये इनाम में दिए। इस बीच पंकज उधास राजकोट की संगीत नाट्य अकादमी से जुड़ गए और तबला सीखने लगे। कुछ वर्ष के बाद पंकज उधास का परिवार मुंबई आ गया। पंकज उधास ने विज्ञान में स्नातक की पढ़ाई मुंबई के मशहूर सैंट जेवियर्स कॉलेज से हासिल की। इस बीच, उन्होंने उस्ताद नवरंग से संगीत की शिक्षा लेनी शुरू कर दी। पंकज उधास के सिने करियर की शुरूआत 1972 में प्रदर्शित फिल्म कामना से हुई लेकिन कमजोर पटकथा और निर्देशन के कारण फिल्म टिकट खिड़की पर बुरी तरह असफल रही। इसके बाद गजल गायक बनने के उद्देश्य से पंकज उधास ने उर्दू की तालीम हासिल करनी शुरू कर दी। वर्ष 1976 में पंकज उधास को कनाडा जाने का अवसर मिला। उन्हीं दिनों अपने दोस्त के जन्मदिन के समारोह में पंकज उधास को गाने का अवसर मिला। उसी समारोह में टोरंटो रेडियो में हिंदी के कार्यक्रम प्रस्तुत करने वाले एक सज्जन भी मौजूद थे, उन्होंने पंकज उधास की प्रतिभा को पहचान लिया। उन्होंने पंकज उधास को टोरंटो रेडियो और दूरदर्शन में गाने का मौका दे दिया।गजल के जगत में उनका जो नाम हुआ, उसकी बदौलत उनकी मुलाकात महेश भट्ट से हुई। महेश भट्ट ‘नाम’ बना रहे थे जिसकी कहानी सलीम खान ने लिखी थी। पंकज उधास को फिल्म से एक गाना ऑफर और आगे इतिहास बन गया। 1986 में ‘चिट्ठी आई है’ की लोकप्रियता के बाद उन्होंने हिंदी फिल्मों के लिए गाना शुरू कर दिया।