नई दिल्ली। अर्पणा पांडेय
पेयजल गुणवत्ता की जांच के लिए देश के प्रत्येक जिले में प्रयोगशालाएं खुलेंगी। जल शक्ति राज्य मंत्री प्रह्लाद पटेल ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि घरों में पहुंचाए जाने वाले पेयजल की गुणवत्ता की जांच एवं निगरानी व्यवस्था की खामियां दुरुस्त करने के उद्देश्य से राज्यों से कार्य तेज करने को कहा गया है। जल शक्ति राज्य मंत्री प्रह्लाद पटेल ने कहा कि राष्ट्रीय परीक्षण एवं अंशशोधन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड (एनएबीएल) से मान्यता प्राप्त जल गुणवत्ता जांच प्रयोगशाला खोली जाएंगी। अगर जिले का आकार बड़ा है, तब ब्लाक स्तर पर भी अतिरिक्त प्रयोगशाला या जल गुणवत्ता जांच उप केंद्र खोला जाएगा। जल शक्ति राज्य मंत्री ने कहा, सभी राज्यों को ग्राम पंचायत के स्तर पर पानी की गुणवत्ता की जांच करने के लिये स्थानीय समुदाय से पांच लोगों मुख्यत: महिलाओं को प्रशिक्षित करने की सलाह दी गई और इस संबंध में अधिकांश राज्यों में महिलाओं को प्रशिक्षित करने का कार्य पूरा हो गया है। पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के अनुसार, राज्य सरकारों से मिली जानकारी के अनुसार देश में कुल 2,032 पेयजल गुणवत्ता परीक्षण प्रयोगशालाएं हैं। इनमें 28 राज्य स्तरीय, 675 जिला स्तरीय, 93 ब्लाक स्तरीय, 1143 उप मंडल स्तरीय तथा 93 मोबाइल प्रयोगशालाएं शामिल हैं। इनमें से 70 पेयजल परीक्षण प्रयोगशालाएं एनएबीएल से मान्यता प्राप्त हैं। विभाग के अनुसार, फरवरी 2021 तक 3.87 लाख महिलाओं को जल गुणवत्ता जांच एवं निगरानी गतिविधियों का प्रशिक्षण दिया गया है। नमामि गंगे परियोजना को लागू करने के बारे में एक सवाल के जवाब में प्रह्लाद पटेल ने कहा कि गंगा नदी की निर्मलता की योजना के तहत उत्तराखंड में काफी हद तक कार्य पूरा हो गया है और हरिद्वार तक गंगा का पानी ए+ (ए प्लस) श्रेणी का है। उन्होंने कहा कि हमें यह समझना होगा कि सारी नदियां बारहमासी नहीं हैं, लेकिन उन नदियों में गंदा पानी 12 महीने आता है, ऐसे में हम गंदे पानी का संवर्द्धन करने पर ध्यान दे रहे हैं। यह सतत प्रक्रिया है और इस पर काम चल रहा है।