प्रयागराज।
कुम्भ के प्रथम स्नान ( मकर संक्रांति ) पर गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में डुबकी लगाने को आस्थावानों का भारी भीड़ उमड़ पड़ी। मंगलवार सुबह से संगम की तरफ श्रद्धालुओं का रैला निकल पड़ा। ज्यों ही अखाड़े शाही स्नान को निकले लोगों का उत्साह भी परवान चढ़ गया। प्रशासन का दावा है कि 14 और 15 जनवरी को दो दिनों में एक करोड़ 96 लाख श्रद्धालुओं ने स्नान किया। मंगलवार को सुबह से ही संगम जाने वाली हर सड़क पर श्रद्धालुओं का रैला उमड़ पड़ा। किसी के सिर पर बोरी थी तो किसी के हाथ में गठरी। आंखों में सिर्फ एक ही कामना लिए श्रद्धालुओं का रेला चला जा रहा था कि संगम तक पहुंच जाएं और त्रिवेणी में डुबकी लगाकर जीवन धन्य हो जाए। सोमवार से शुरू हुआ संगम स्नान का सिलसिला मंगलवार रात तक जारी रहा। मंगलवार को सबसे पहले सुबह 6.15 से 6.55 बजे तक महानिर्वाणी व अटल अखाड़ा, उसके बाद 7.05 से 7.45 बजे तक निरंजनी व आनन्द अखाड़ों के महामंडलेश्वरों, संतों, महंतों, नागाओं और उनके अनुयायियों ने स्नान किया। 8 से 8.40 बजे तक जूना, आवाहन और अग्नि अखाड़े का स्नान संपन्न हुआ। इसके बाद दो घंटे तक घाट पर शाही स्नान स्थगित रहा।
फिर 10.40 बजे पंच निर्मोही अखाड़े के स्नान से दोबारा जो शाही स्नान का सिलसिला शुरू हुआ तो 4.20 बजे तक पंचायती अखाड़ा निर्मल के स्नान के साथ संपन्न हुआ। श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा के साथ अर्धकुम्भ प्रयागराज 2019 के प्रथम शाही स्नान पर काशी सुमेरु पीठाधीश्वर जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानन्द सरस्वती जी महाराज ने स्नान किया।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार कुम्भ के प्रथम शाही स्नान पर नागा संन्यासी गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के आध्यात्मिक मिलन स्थल पर बच्चों के समान मासूम हो गए। आमतौर पर जिन नागा संन्यासियों के पास फटकने में भी लोग सहम जाते हैं, वे स्वयं मंगलवार सुबह मां गंगा की गोद में बच्चों की तरह किलकारी मारकर कूद पड़े। हर-हर महादेव का नारा लगाते नागाओं की टोली ने जब संगम में छलांग लगाई तो हर कोई यह दृश्य देखकर अवाक रह गया।
मकर संक्रांति के पहले शाही स्नान के लिए अखाड़ों में देररात तैयारियां शुरू हो गई थीं। सबसे पहले महानिर्वाणी अखाड़े का जुलूस निकलना था सो सबसे पहले वहां लगभग पौने तीन बजे ही गाजे-बाजे का शोर शुरू हो गया। ढोल-नगाड़े के साथ नागाओं, साधुओं को जगाया गया। इसके बाद नागाओं ने आठ डिग्री से भी कम तापमान की परवाह किए बगैर शिविर में स्नान किया। हर-हर महादेव का जयघोष करते हुए गीली देह पर भभूत धारण की और फिर धर्म ध्वजा के नीचे स्थापित अखाड़े के ईष्ट देवता आदि गणेश की प्रतिमा के सामने आरती में शामिल हुए। इसके बाद आगे-आगे नागाओं की टोली आदि गणेश की प्रतिमा, आदि देवभाला चन्द्रप्रकाश-सूर्यप्रकाश, अस्त्र-शस्त्र के साथ निकली तो पीछे-पीछे पीठाधीश्वर व महामंडलेश्वरों के वैभवशाली रथ और उनके रथ के ईद-गिर्द अनुयायियों का जत्था सनातन धर्म की जय-जयकार करता अलौलिक शाही स्नान के लिए बढ़ चला। ऐसा ही दृश्य शैव मत मानने वाले निरंजनी, जूना, आवाहन, आनन्द, अटल व अग्नि अखाड़ों में देखने को मिला।