देहरादून। केदारनाथ उपचुनाव में धामी सरकार की कड़ी परीक्षा तय है। 20 नवंबर को होने वाला यह उपचुनाव मौजूदा धामी सरकार के सामने पांचवां विधानसभा उपचुनाव है। केदारनाथ उपचुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच बढ़त बनाने के लिए अग्नि परीक्षा होने वाली है। निर्वाचन आयोग ने मंगलवार को घोषणा करते हुए केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव के लिए 20 नवंबर को मतदान की तारीख तय की। इसी के साथ ही राजनीतिक दलों में सरगर्मी बढ़ गई है। धामी सरकार के दूसरे कार्यकाल में यह पांचवां उपचुनाव है। पहला उप चुनाव मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने मई 2022 में चंपावत से खुद लड़ा था। खटीमा से हार के बाद चंपावत विधायक कैलाश गहतोड़ी ने उनके लिए सीट छोड़ी थी। धामी इस सीट पर रिकार्ड मतों से जीते थे। इसके बाद कैबिनेट मंत्री चंदन राम दास के निधन के बाद बागेश्वर सीट खाली हुई और सितंबर 2023 में हुए उपचुनाव में भाजपा ने दिवंगत मंत्री की पत्नी पार्वती को टिकट दिया। वे करीबी मुकाबले में जीत दर्ज करने में सफल रहीं। इसके बाद मंगलौर के बसपा विधायक सरवत करीम अंसारी के निधन और लोकसभा चुनाव से ऐनवक्त पहले बदरीनाथ के कांग्रेस विधायक राजेंद्र भंडारी के भाजपा में शामिल होने के कारण खाली हुई इन दो सीटों पर एक साथ उपचुनाव हुए। लोकसभा चुनाव के बाद हुए इन उपचुनावों में कांग्रेस को जीत मिली। बदरीनाथ से लखपत बुटोला और मंगलौर से कांग्रेस नेता काजी निजामुद्दीन ने जीत दर्ज की। भाजपा विधायक शैलारानी रावत के नौ जुलाई को असामयिक निधन से केदारनाथ सीट खाली हुई है। भाजपा के लिए यह उपचुनाव इसलिए महत्वपूर्ण है कि यह सीट उसके पास थी, और वह इसे अपने पास बरकरार रखना चाहेगा। वहीं, कांग्रेस के पास भी भाजपा से सीट छीनने का मौका है।