जी-20 सम्मेलन में गाजा को अधिक सहायता देने पर सहमति बनी

अंतरराष्ट्रीय

रियो डी जेनेरियो, एजेंसी। जी-20 शिखर सम्मेलन में दुनिया की 20 प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के नेताओं ने भूख से लड़ने के लिए वैश्विक समझौते, युद्धग्रस्त गाजा के लिए अधिक सहायता तथा मध्यपूर्व और यूक्रेन में युद्ध समाप्त करने का आह्वान किया। सोमवार को जारी संयुक्त घोषणा पत्र में ये बातें कहीं गई। संयुक्त वक्तव्य को समूह के सदस्यों ने समर्थन दिया, लेकिन इसमें पूर्ण सर्वसम्मति नहीं थी। संयुक्त वक्त्व्य में भविष्य में अरबपतियों पर कर लगाने तथा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के अपने पांच वर्तमान स्थायी सदस्यों से आगे विस्तार करने के लिए सुधारों का आह्वान भी किया गया। अर्जेंटीना एकमात्र ऐसा देश था जिसने पूरे दस्तावेज का समर्थन नहीं किया। स्वतंत्र राजनीतिक सलाहकार और ब्राजील के पूर्व मंत्री थॉमस ट्रॉमैन ने कहा कि हालांकि यह सामान्य है, लेकिन यह ब्राजील के लिए आश्चर्य है। एक ऐसा क्षण था जब कोई घोषणा न होने का जोखिम था। चेतावनियों के बावजूद, यह लूला के लिए एक अच्छा परिणाम है। संयुक्त वक्तव्य में गाजा में भयावह मानवीय स्थिति और लेबनान में बिगड़ते हालात का उल्लेख किया गया। यहां मानवीय सहायता का विस्तार करने और नागरिकों की बेहतर सुरक्षा करने की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया गया। इसमें इजरायल की पीड़ा या हमास द्वारा अभी भी बंधक बनाए गए 100 या उससे अधिक बंधकों का उल्लेख नहीं किया गया। इजरायल जी20 का सदस्य नहीं है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन बैठक में शामिल नहीं हुए। उनके बदले अपने विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव सम्मेलन में पहुंचे। अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय द्वारा वारंट जारी करने के बाद पुतिन ने ऐसे शिखर सम्मेलनों से परहेज किया है। जी20 घोषणापत्र ने रूस का नाम लिए बिना शांति का आह्वान करते हुए यूक्रेन में मानवीय पीड़ा को उजागर किया। कई जलवायु विशेषज्ञों का मानना ​​है कि विकासशील देशों में जलवायु कार्रवाई का समर्थन करने के लिए नए वित्त पैकेज पर सहमत होने की कोशिश कर रहे वार्ताकारों को जी-20 नेताओं ने कोई मजबूत संकेत नहीं दिया है। हालांकि, दुनिया के 20 सबसे अमीर देश जलवायु समस्याओं को हल करने के लिए बहुपक्षवाद और संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन के लिए अपने समर्थन की फिर से पुष्टि की है। विशेषज्ञों ने जी-20 के बयान में कुछ महत्वपूर्ण कमियों को नोट किया है। इसमें जीवाश्म ईंधन से दूर जाने या जलवायु परिवर्तन से होने वाले नुकसान और क्षति को दूर करने के लिए संसाधनों को जुटाने का स्पष्ट रूप से उल्लेख नहीं किया गया है। दिल्ली स्थित ऊर्जा, पर्यावरण और जल परिषद के वरिष्ठ फेलो वैभव चतुर्वेदी ने कहा कि जलवायु वित्त पैकेज पर चर्चा करने के लिए G20 सही मंच नहीं है। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट के कार्यक्रम अधिकारी त्रिशांत देव ने प्रतिबंधात्मक व्यापार उपायों के खिलाफ जी20 के रुख का स्वागत किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *