लखनऊ। राजेंद्र तिवारी
यूपी एटीएस ने अवैध धर्मांतरण गिरोह से जुड़े एक और आरोपी अब्दुल्ला गौतम को शनिवार को नोएडा से गिरफ्तार कर लिया। अब्दुल्ला गौतम पूर्व में गिरफ्तार किए गए उमर गौतम का बेटा है। वह विदेशों से फंड हासिल कर धर्मांतरित हुए लोगों को रकम बांटता था। साथ ही वह दिल्ली स्थित इस्लामिक दावा सेंटर के संचालन में भी सक्रिय था। अभी तक जांच में मौलाना कलीम के ट्रस्ट के खाते में लगभग 22 करोड़ रुपये की फंडिंग के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।
एटीएस ने 20 जून 2021 को अवैध धर्मांतरण गिरोह को संचालित करने वाले कुछ लोगों को गिरफ्तार किया था। इसकी विवेचना के बाद मुख्य अभियुक्त मौलाना उमर गौतम, मौलाना कलीम सिद्दीकी समेत अब तक 16 गिरफ्तारियां की जा चुकी हैं। इस मामले की विवेचना में एटीएस को प्रमाण मिले थे कि धर्मांतरण सिंडिकेट के संचालन के लिए इन्हें विदेशों से भी भारी मात्रा में फंडिंग की गई थी। जिसके पुष्ट साक्ष्य मिले हैं l उमर गौतम व उसके साथियों को विदेशों से लगभग 57 करोड़ रुपये की फंडिंग हवाला एवं अन्य माध्यमों से की गयी थी, जिसके खर्च का ब्यौरा उमर गौतम व इसके साथी नहीं दे सके थे। विवेचना के दौरान जुटाए गए साक्ष्यों में पाया गया कि बाटला हाउस निवासी अभियुक्त अब्दुल्ला भी अपने पिता मौलाना उमर गौतम के धर्मांतरण सिंडिकेट से जुड़ा है। वह धर्मान्तरित हुए लोगों को धन वितरित करने का कार्य देखता है। अब्दुल्ला इस सिंडिकेट के सह अभियुक्तों जहांगीर आलम, कौसर व फराज शाह से सीधे व सक्रिय रूप से जुड़ा है। वहीं मौलाना उमर गौतम द्वारा संचालित अल फारुखी मदरसा व मस्जिद और इस्लामिक दावा सेंटर के संचालन का कार्य देखता है। अभियुक्त अब्दुल्ला के खातों में भी उन्हीं स्रोतों से भारी मात्रा में धन का आना प्रमाणित हुआ है, जिन स्रोतों से मौलाना उमर गौतम के खातों में धन आया था। अब्दुल्ला के विभिन्न बैंक खातों में अब तक 75 लाख रुपये का आना प्रमाणित हुआ है, जिसमें लगभग 17 लाख रुपये विदेश से आए हैं। इन पैसों को अब्दुल्ला अपने पिता व अन्य सह अभियुक्तों के साथ मिलकर धर्मान्तरित हुए व्यक्तियों में वितरित करता था। अभियुक्त अब्दुल्ला धर्मांतरण के इस सिंडिकेट का महत्वपूर्ण सदस्य है और मौलाना उमर गौतम के धर्मांतरण के सभी कार्यों में मौलाना का प्रमुख सहयोगी है। अभियुक्तों के खातों में यूके, अमेरिका व अन्य खाड़ी देशों से भारी मात्रा में हवाला व अन्य माध्यमों से धन का आना प्रमाणित हुआ है। अभियुक्तों द्वारा ट्रस्ट में आए विभिन्न वैध एवं अवैध धन को निजी धन के रूप में मनमाने ढंग से खर्च किया गया, जिससे संपत्तियां भी अर्जित की गईं व अभियुक्त अपनी आय के स्रोतों का भी उल्लेख नहीं कर सके।