हरिद्वार। टीएलआई
मिथुन राशि की यात्रा समाप्त कर अदम्य साहसी मंगल अब कर्क राशि में प्रवेश कर रहा है। धर्मशास्त्र के अनुसार जल तत्व की राशि कर्क में मंगल अथवा सूर्य प्रवेश करते हैं, तो परिणाम स्वरूप अग्नि और जल के मिलन से वाष्पीकरण की प्रक्रिया प्रारंभ होती है। जिसके फलस्वरूप वर्षा की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में इस साल अच्छी बारिश के योग बनेंगे। वहीं मिथुन राशि में बना चतुष्ग्रही योग अब भंग हो गया। मंगल का नीचस्थ होने से कुछ राशि पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा तो कुछ पर सही प्रभाव नहीं होगा।
मंगल का नीचस्थ होकर चतुर्थ भाव में जाने से मेष राशि वालों को मानसिक तनाव बढ़ने की संभावना है। बावजूद मकान, वाहन आदि के क्रय-विक्रय का योग भी बनाएगा।
वृष वालों के लिए मंगल का गोचर तृतीय पराक्रम भाव में रहेगा। जिसके कारण भाइयों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव तो पड़ेगा, किंतु कार्यक्षेत्र का विस्तार होगा। भाग्योन्नति होगी और विदेश यात्रा के अवसर मिलेंगे।
मिथुन वालों के लिए मंगल का गोचर द्वितीय कुटुंब भाव में हो रहा है। अत: कहीं न कहीं पारिवारिक कलह और मानसिक संताप से जूझना होगा। चूंकि इस राशि के स्वामी बुध भी कर्क में हैं, इसलिए मन-मस्तिष्क को शीतल रखेंगे।
कर्क राशि वालों पर इसका कोई अशुभ प्रभाव नहीं दिखाएगा, क्योंकि मंगल कर्क राशि के लिए राजयोग कारक होता है।
सिंह वालों के लिए इस परिवर्तन से परेशानी होगी। इससे खर्च बढ़ जाएगा। कन्या राशि वालों के लिए मंगल का लाभस्थ स्थान पर जाना स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव और बड़े भाई से रिश्तों में खटास ला सकता है। किंतु यही मंगल परेशानियों से छुटकारा भी दिलाएगा।
तुला राशि वालों के लिए नीच राशि का मंगल दशम् भावगत है, अत: स्त्री वर्ग के लिए अशुभ है, क्योंकि यह उनके लिए कर्ज योग बनाएगा।
वृश्चिक वालों के स्वामी मंगल नीच राशिगत हैं, किंतु मूल त्रिकोण में हैं, जिसके फलस्वरूप वृश्चिक राशि वालों को कोई नुकसान तो नहीं होगा, किंतु बहुत मेहनत करने के बाद ही कामयाबी मिलेगी।
धनु राशि वालों के लिएनीच राशिगत अष्टम मृत्यु भाव में है। सेहत पर विपरीत प्रभाव डालेगा।
मकर राशि के जातकों के लिए मंगल की उच्च दृष्टि पड़ रही है। अत: इस राशि के लोगों के प्रभाव में वृद्धि होगी।
कुंभ वालों के लिए यह गोचर शत्रु भाव में बन रहा है, जिसके फलस्वरूप उन्हें ऋण, रोग एवं शत्रुओं के दुष्प्रभाव से बचना होगा।
मीन वालों के लिए परिवर्तन संतान संबंधी चिंताएं बढ़ा सकता है। किंतु बृहस्पति की उच्च दृष्टि परेशानियों से मुक्ति दिलाने और संघर्षों से लड़ने में मददगार साबित होगी।