अनीता रावत
देहरादून। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में संस्थान की ओर से आयोजित कार्यशाला में राज्य के चिकित्सकों व फार्मासिस्टों को कैपिसिटी बिल्डिंग के तहत हीमोफिलिया नामक बीमारी की पहचान व उपचार का प्रशिक्षण दिया गया। जिससे इस बीमारी से जूझ रहे मरीजों को समय रहते उपचार देकर उनका जीवन बचाया जा सके।
शुक्रवार को नेशनल हेल्थ मिशन, उत्तराखंड के सहयोग से एम्स में आयोजित कार्यशाला में संस्थान के निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने बताया कि हीमोफिलिया एक ऐसी बीमारी है जिसकी जांच व इलाज संभव है। उन्होंने बताया कि एम्स ऋषिकेश द्वारा आयोजित इस कार्यशाला के बाद राज्य के चिकित्सक व फार्मासिस्ट हीमोफिलिया के मरीजों की सही पहचान, चिह्निकरण व उपचार कर सकेंगे। एम्स निदेशक पद्मश्री प्रो. रवि कांत ने बताया कि संस्थान की ओर से विभिन्न बीमारियों के परीक्षण व इलाज का प्रशिक्षण देकर राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग सतत सहयोग दिया जाएगा।
कार्यशाला में संस्थान के विशेषज्ञ चिकित्सकों डा. उत्तम कुमार नाथ, डा. गीता नेगी, डा. अजीत सिंह भदौरिया, डा. राज लक्ष्मी व डा. प्रशांत कुमार वर्मा ने प्रतिभागियों को हीमोफिलिया बीमारी की पहचान, जांच की प्रक्रिया व उपचार से संबंधित प्रशक्षिण दिया। कार्यशाला के को-ऑर्डिनेटर डा. अजीत ने बताया कि हीमोफिलिया से ग्रस्त मरीज राज्य सरकार द्वारा जारी टोल फ्री नंबर- 104 पर संपर्क कर स्वयं को रजिस्टर्ड करा सकते हैं। उन्होंने बताया कि इसके बाद मुख्य चिकित्सा अधिकारी के द्वारा आशा कार्यकत्रियों के माध्यम से संबंधित मरीज को ट्रेस कर उसका भौतिक सत्यापन किया जाता है,जिसके बाद मरीज से संबंधित संपूर्ण जानकारी नेशनल हेल्थ मिशन एनएचएम को दी जाती है। इसके बाद एनएचएम द्वारा ऐसे मरीजों को ई-औषधि में रजिस्टर्ड कराकर इसी माध्यम से मरीजों को निशुल्क दवा व उपचार सुलभ कराया जाता है। कार्यशाला में स्टेट एनएचएम के ट्रेनिंग को-ऑर्डिनेटर डा. सप्तऋषि, ब्लड सेल को-ऑर्डिनेटर मनीष नेगी आदि मौजूद थे।