देहरादून। अनीता रावत
गढ़वाल और कुमाऊं में दो दिनों से हो रही भारी बारिश ने तबाही मचा दी है। जगह- जगह पहाड़ियां दरकने से हाईवे समेत कई सड़कें बंद हो गईं। चम्पावत के सेलाखोला गांव में भूस्खलन से एक मकान में बड़ी मात्रा में मलबा घुसा गया। मलबे में दबकर मां और बेटे की मौत हो गई। वहीं गढ़वाल में भूस्खलन के मलबे में दबकर लैंसडौन के पास समखाल में मां, बेटी समेत तीन लोगों की मौत हो गई और दो लोग घायल हो गए। नेपाल के रहने वाले यह सभी लोग समखाल में एक होटल के निर्माण में लगे हुए थे।
चंपावत में भूस्खलन से एक मकान जमींदोज हो गया। हादसे में कलावती देवी (48) पत्नी आनंद सिंह मौनी और राहुल सिंह मौनी (17) पुत्र आनंद सिंह मौनी की मौत हो गई। टनकपुर में पूर्णागिरि मार्ग से लगे किरोड़ा नाले को पार करने के प्रयास में जिप्सी समेत सवार तीन लोग रौखड़ में बह गए। स्थानीय लोगों ने नाले में कूदकर तीनों को सकुशल बाहर निकाला। हादसे में घायल हुए दो लोगों को अस्पताल भेजा गया है। बारिश से बागेश्वर में कपकोट तहसील के बेड़ा-मझेड़ा में एक मकान क्षतिग्रस्त हो गया है। वहीं पूर्णागिरि से लगे बांटनागाड़ रौखड़ में पुलिस ने रास्ता बाधित होने से फंसे श्रद्धालुओं का रेस्क्यू कर उन्हें सकुशल घर की ओर वापस भेजा है। आंतरिक मार्गों से माता के दर्शन को जा रहे सैकड़ों भक्त सोमवार को बांटनागाड़ में फंस गए थे। एसपी देवेंद्र पींचा के निर्देश पर रेस्क्यू अभियान चलाया गया। भारी बारिश से चम्पावत जिले में घाट से टनकपुर तक 12 स्थानों पर राष्ट्रीय राजमार्ग बंद हो गया। पुलिस ने टनकपुर के ककराली गेट और चम्पावत के बेलखेत में वाहनों को रोक दिया। राष्ट्रीय राजमार्ग में कई स्थानों पर पहाड़ी से मलबा और पत्थर गिर रहे हैं। इस वजह से यहां हर कदम पर खतरा बना हुआ है। साथ ही नौ आंतरिक सड़कें भी बंद चल रही हैं। नैनीताल जिले में खैरना के पास पत्थर और वीरभट्टी पुल के पास मलबा आने से अल्मोड़ा हाईवे बंद हो गया है। मंगलवार को इसके खुलने की संभावना है। बागेश्वर में जिले में लगातार हो रही बारिश से लोगों का जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। ग्लेशियरों में मौसम का पहला हिमपात हुआ है। वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार सुंदरढूंगा, पिंडारी तथा हीरामणि ग्लेशियरों में मौसम का पहला हिमपात हुआ है। तवाघाट-सोबला मोटर मार्ग एक बार फिर बंद हो गया है। इससे 24 से अधिक गांवों के लिए आवाजाही ठप हो गई है। बीते 13 अक्तूबर को 115 दिन के लंबे इंतजार के बाद इस मार्ग में आवाजाही शुरू हुई थी। इससे ग्रामीणों को राहत मिली थी, लेकिन रविवार रात छिरकिला डैम के समीप करीब 40 मीटर सड़क जमींदोज हो गई है। इससे दारमा वैली का संपर्क मुख्यालय से कट गया है। तराई और भाबर समेत पहाड़ में लगातार बारिश से खेत में खड़ी फसलें चौपट हो गई हैं। बारिश से धान, गन्ने और उड़द की फसल को भारी नुकसान पहुंचा है। तराई में खेत तालाब बन गए हैं। टनकपुर में कटी फसलें पानी में डूब गई हैं।